नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। भगवान शिव की पूजा के समय शिव पंचाक्षर मंत्र के जाप का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि शिव जी के इस मंत्र के जाप से मनुष्य के अनेक कष्ट समाप्त हो जाते हैं। शिव पंचाक्षर का जाप करते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि स्वयं भगवान शिव ने सभी मानव जाति के लाभ के लिए मंत्र शिव पंचाक्षर ओम नमः शिवाय की उत्पति की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे प्रथम मंत्र माना गया है। इससे आप हर तरह की उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं। इसका जाप करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:।।
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:।।
वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:।।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:।।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ।
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते।।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे 'न' काराय नमः शिवायः।।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र भगवान शिव के सम्मान में लिखा गया था। इसमें भगवान शिव के स्वरूप और स्वरूप के बारे में बताया गया है। जब भी आप भगवान शिव की पूजा करें तो आप भगवान शिव के पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।