Shaniwar Mantra : जानिये कब करें शनि देव का पूजा तथा उनके प्रमुख मंत्र

Shani Dev Mantra : शनि देव, सनातन धर्म के अनुसार, कर्मों के अनुसार फल देने वाले देवता हैं, और इसलिए उनकी पूजा से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होता है।
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नई दिल्ली , 07 अक्टूबर 2023 : विधि-विधान से शनि देव की आराधना करने के लिए शनिवार का दिन एक विशेष सांस्कृतिक अवसर है। इस दिन शनि देव के पूजन और व्रत का महत्वपूर्ण होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का अनुभव होता है। शनि देव, सनातन धर्म के अनुसार, कर्मों के अनुसार फल देने वाले देवता हैं, और इसलिए उनकी पूजा से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होता है।

शनि देव की पूजा का आरंभ ब्रह्म मुहूर्त में होना चाहिए, जब दिन की शक्ति उत्तम रूप से उदय होती है। पूजा के लिए व्यक्ति को शुद्धि के लिए स्नान करना चाहिए, और स्नान के समय गंगाजल में मिलाया गया नीला चंदन शनि देव की कृपा को आकर्षित करने में मदद करता है।

अपनी शुद्धता को बनाए रखने के लिए व्यक्ति को आचमन करते हुए अंजलि में जल रखना चाहिए। इसके बाद, काले रंग के वस्त्र को धारण करते हुए, शनि मंदिर जाना चाहिए।

विधि-विधान से शनि देव की पूजा करते समय, व्यक्ति को शनि मंत्रों का जाप करना चाहिए। ये मंत्र शनि देव की कृपा को प्राप्त करने में सहायक होते हैं और उसके कष्टों को दूर करते हैं।

शनि देव के विभिन्न मंत्रों में शामिल हैं:

  • शनि मंत्र - ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।

    कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।

    शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।

    दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।

    ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।

    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • शनि महामंत्र - ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

    छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

  • शनि दोष निवारण मंत्र - ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।

    उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।

  • शनि का पौराणिक मंत्र - ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

    छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

  • शनि का वैदिक मंत्र - ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

  • शनि गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

    ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।

इन मंत्रों का नियमित रूप से जाप करना शनि देव की कृपा को प्राप्त करने में सहायक होता है और व्यक्ति को उनके शुभाशीषों का अनुभव होता है।

इसके बाद, पूजा करते हुए व्यक्ति को अपने जीवन में अच्छे कर्मों का पालन करना चाहिए, जिससे शनि देव की कृपा बनी रहे और उसके जीवन को सुखमय बनाए रखे।

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