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Ravivar Mantra : जानिये सूर्य उपासना करके कैसे रहें आरोग्य

Surya Mantra : सूर्य का बाहरी आकार जड़ है, लेकिन उसके भीतर चेतन आत्मा विराजमान है, जिसके कारण वह देवता भी हैं और उन्हें 'सूर्य नारायण' भी कहा जाता है।

नई दिल्ली , 29 अक्टूबर 2023 : वेदों में सूर्य को जड़-पिण्ड या अग्नि का गोला नहीं, बल्कि ताप, प्रकाश, और जीवन-शक्ति का प्राण-स्वरूप माना गया है। सूर्य का बाहरी आकार जड़ है, लेकिन उसके भीतर चेतन आत्मा विराजमान है, जिसके कारण वह देवता भी हैं और उन्हें 'सूर्य नारायण' भी कहा जाता है।

आरोग्य की कामना सूर्य से: ऋग्वेद में कहा गया है कि मनुष्य को आरोग्य की कामना सूर्य देव से करनी चाहिए, क्योंकि उनकी उपासना से मनुष्य नीरोग रहता है। यजुर्वेद में भी सूर्य से आरोग्य की प्रार्थना की गई है।

सूर्य देव के नामों का महत्व: सूर्य देव के २१ नाम, १०८ नाम, या १००८ नामों का पाठ करना चाहिए जो आरोग्य की कामना करते हैं।

सूर्य देव के मंत्र और उनका फल: आरोग्य देने वाला मंत्र 'ॐ घृणि: सूर्य आदित्योम्' और आरोग्य देने वाला श्लोक 'ॐ नम: सूर्याय शान्ताय सर्व रोग विनाशने' का पाठ करना चाहिए।

सूर्य देव की आराधना के नियम:

  • सूर्योपासक को सूर्योदय से पहले ही सोकर उठना चाहिए।

  • स्नान के बाद नित्य सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।

  • प्रतिदिन सूर्य के २१ नाम, १०८ नाम या १००८ नामों का पाठ करना चाहिए।

  • सूर्यदेव की कृपा प्राप्ति के लिए ‘आदित्यहृदय स्तोत्र’ का पाठ करना चाहिए।

  • रविवार को तेल, नमक और अदरक नहीं खाना चाहिए।

सूर्योपासना के फल: सूर्योपासना से नेत्र रोग दूर हो सकते हैं और शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। सूर्य की शक्ति से रोगों का नाश हो सकता है और आरोग्य, ऐश्वर्य, बुद्धि, यश, और मुक्ति प्राप्त हो सकती है। इसके अलावा, सूर्योपासना से बुद्धि बढ़ती है और आत्मा का उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।

सूर्य देव के नेत्रोपनिषद् स्तोत्र का नियमित पाठ करके, हम नेत्रों को स्वस्थ रख सकते हैं और आत्मा को ऊँचाईयों तक ले जा सकते हैं। यह एक आध्यात्मिक साधना है जो न केवल नेत्र रोगों से बचाव कर सकती है बल्कि जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से भर सकती है।

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