Mantra of Kushmanda Mata
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Maa Kushmanda Mantra: नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा को मालपुआ चढ़ाकर इन मंत्रों से करें प्रसन्न

नवरात्रि के चौथे दिन मन कुष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है। माता को पीला रंग बहुत प्रिय हैं इसलिए आज के दिन पीला फूल चढ़कर इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।

नई दिल्ली रफ्तार डेस्क।11April 2024। माता कुष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन होती है। माता को स्मृति और शांति का प्रतीक भी माना जाता है। आज के दिन माता के प्रिय रंग का फूल और भोग लगाकर कुछ चमत्कारी मंत्रों का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में चल रहे सभी दुखों का अंत होता है और माता की कृपा आप पर बनी रहती है।

पूजा विधि

माता कुष्मांडा की पूजा करते समय या ध्यान रहे आज के दिन उन्हें पीला रंग का फूल ही अर्पित करें। इसके साथ ही मां कुष्मांडा की चंदन, कुमकुम, अखंड दिया, पुष्प, फल, नैवेद्य, सिंदूर, बेल पत्र इत्यादि के साथ पूजन करें।माता को मालपुआ का भोग लगाए। इसके बाद माता की आरती उतारें और जब आप शाम को माता की पूजा करें तो घी का दीपक जरूर जलाए।

माता कुष्मांडा के नाम का अर्थ

माता कुष्मांडा के आठ भुजाएं हैं, इसलिए उन्हें अष्टभुजा के नाम से भी जानते हैं। माता के सात हाथों में क्रमश कमण्डल, धनुष,बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली एक जाप माला है। माता कुष्मांडा के कुसुम का अर्थ है फूलों के समान हंसी और आण्ड का अर्थ है ब्रहमाण्ड। एसी मान्यताएं हैं कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तो माता ने ब्रह्मांड की रचना की थीं।अपने मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड को अपने गर्भ में उत्पन्न किया है वही मां कूष्माण्डा है।

इन मंत्रो का करें जाप

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥'

'या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।'

या 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नम:।।'

कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम: पूजा मंत्र - ॐ कूष्माण्डायै नम: ध्यान मंत्र - वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:

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