Durga Ashtami: नवरात्रि की अष्टमी के दिन इन मंत्रों से करें मां महागौरी की पूजा, घर में आएगी सुख-समृद्धि

Durga Ashtami: नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी के दिन मां महागौरी की बड़े ही भाव से पूजा अर्चना की जाती है।
Mantra of Mahagauri Mata
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नई दिल्ली रफ्तार डेस्क। 16April 2024।नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। आज के दिन माता की पूजा करने से जीवन में चल रही सभी परेशानियों का अंत होता है। माता को प्रसन्न करने के लिए उनके कुछ चमत्कारी मंत्रों का जाप भी करना चाहिए।

माता रानी का नाम और स्वरूप

मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। मान्यता के अनुसार अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। तभी से इन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया। माता महागौरी को अक्सर चार हाथों से चित्रित किया जाता है। उनके ऊपरी दाएं और बाएं हाथों में एक त्रिशूल और एक डमरू रखती है, जबकि वह अपने भक्तों को निचले हाथों में अभय और वरमुद्रा दिखाते हुए आशीर्वाद देती हैं।

पूजा विधि

अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और फिर एक लकड़ी की चौकी स्थापित करें।और उसपर लाल वस्त्र बिछाएं। इसके बाद माता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। उसके बाद माता के सामने अखंड ज्योति जलाकर उनकी पूजा अर्चना करें। उन्हें लाल और गुलाबी फूल चढ़ाए इसके बाद माता महागौरी को नारियल का भोग अर्पित करें। फिर दुर्गासप्तशती और माता महागौरी की आरती का पाठ करें।

इन मंत्रों करें जाप

श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना।

श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।।

ओम देवी महागौर्यै नमः।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

स्तोत्र मंत्र

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।

ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।

डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।

वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

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