
नई दिल्ली ,17 अक्टूबर 2023 : नवरात्रि, हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसमें देवी दुर्गा की नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस अद्भुत उत्सव का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित है, जिनका नाम 'चंद्रघंटा' शशांक (चंद्रमा) के एक चंद्रकिरण की भांति है। माँ चंद्रघंटा को पूजते हुए भक्त उनकी कृपा से आत्मा को शुद्धि, शक्ति और सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन का महत्व, विशेषताएँ, मंत्र, और पूजा विधि के बारे में यहां जानते हैं।
माँ चंद्रघंटा का महत्व:
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा का पूजन करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप, चंद्रघंटा, अपनी आदिशक्ति और शक्तिशाली स्वरूप को प्रकट करती हैं। चंद्रघंटा का अर्थ है "चंद्रमा के घंटा बजाने वाली" और इस रूप में माँ दुर्गा का वह स्वरूप है जो शांति, सौभाग्य, और समृद्धि को संकेत करता है। उनकी पूजा से भक्तों को आत्मिक ऊर्जा, भक्ति, और शक्ति की आवश्यकता प्राप्त होती है।
माँ चंद्रघंटा की विशेषताएँ:
चंद्रकिरण साकार: माँ चंद्रघंटा का स्वरूप चंद्रमा के एक किरण की भांति है, जिससे उन्हें 'चंद्रघंटा' कहा जाता है।
तीन आंतरिक जगतों की प्रतिष्ठा: माँ चंद्रघंटा तीन आंतरिक जगतों - आकाश, पृथ्वी, और पाताल की प्रतिष्ठा की जाती है।
शंकर-चूड़ा-धारिणी: माँ चंद्रघंटा शंकर (भगवान शिव) की पत्नी हैं और उन्हें 'चूड़ा-धारिणी' कहा जाता है, जिसे उनके पूजक भक्त भूषा और प्रतिष्ठा का प्रतीक मानते हैं।
माँ चंद्रघंटा का मंत्र:
"ॐ श्रंग ह्रीं क्लीं चंद्रघंटायै नमः।"
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि:
पूजा की शुरुआत गणेश जी और कुल देवता की पूजा के साथ करें।
माँ चंद्रघंटा की मूर्ति या छवि के सामने सुगंधित धूप, दीप, फूल, और नैवेद्य रखें।
माँ की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त में आराधना करें।
माँ चंद्रघंटा को "ॐ श्रंग ह्रीं क्लीं चंद्रघंटायै नमः" मंत्र से पूजें।
विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और माँ का आराधना करें।
अखंड दिया जलाएं और भगवती दुर्गा का भजन गाएं।
पूजा के बाद कन्याओं को प्रसाद बांटें और उन्हें आशीर्वाद दें।
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को माँ की कृपा, शक्ति, और सौभाग्य मिलता है। इस दिन भक्त उनकी आराधना करके उनसे शक्ति और संबल प्राप्त करते हैं, जिससे वे अपने जीवन को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचा सकते हैं।
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