Navratri Special : आज है नवरात्री का प्रथम दिन, जानिये कैसे करें माँ शैलपुत्री की पूजा - आराधना

Durga Puja Special : मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप को 'शैलपुत्री' इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह हिमालय पर्वत के राजा हिमवान की कन्या थीं।
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नई दिल्ली , 15 अक्टूबर 2023 : नवरात्रि, हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो नौ दिनों तक चलता है और देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का अवसर प्रदान करता है। नवरात्रि का पहला दिन माँ शैलपुत्री के रूप में ध्यान किया जाता है।

इस मौके पर, हम जानेंगे शैलपुत्री के महत्व, विशेषताएं, मंत्र, और पूजा विधि के बारे में:

शैलपुत्री का महत्व: प्रथम शैलपुत्री, मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप को कहा जाता है और इसे 'शैलपुत्री' इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह हिमालय पर्वत के राजा हिमवान की कन्या थीं। इस रूप में मां दुर्गा को त्रिशूल और चंद्रमा के साथ देवी के सामर्थ्य का प्रतीक माना जाता है। शैलपुत्री की पूजा से शक्ति और सौंदर्य की प्राप्ति होती है।

माता शैलपुत्री की विशेषताएं:

  • इस रूप में मां दुर्गा का वाहन वृषभ (नंदी) होता है जो समृद्धि का प्रतीक है।

  • देवी का ध्यान मन, बुद्धि, और अहंकार को परित्याग करने पर होता है, जिससे भक्त आत्मज्ञान की प्राप्ति करता है।

  • इस रूप में मां का रूप सुंदर और प्रेम भरा होता है, जो भक्तों को आकर्षित करता है।

माँ शैलपुत्री का मंत्र:

"वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥"

ॐ देवी शैलपुत्री नमः

माँ शैलपुत्री की पूजा विधि:

  1. पूजा की शुरुआत करने से पहले, साफ-सुथरे होकर बैठें और मां शैलपुत्री को मन में ध्यान में लें।

  2. मां की मूर्ति को पुष्प, चंदन, कुमकुम, और रोली से सजाकर स्थान पर रखें।

  3. धूप, दीप, नैवेद्य, और फल चढ़ाएं।

  4. प्रथम शैलपुत्री का मंत्र 108 बार जपें और उन्हें पुष्पों से चढ़ाएं।

  5. मां की आरती करें और भक्ति भाव से उनकी पूजा को समाप्त करें।

प्रथम शैलपुत्री की पूजा से भक्तों को धन, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर, हम सभी को मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद से युक्त रहने की कामना करते हैं।

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