Navratri Special : नवरात्रि में आठवां दिन माँ महागौरी को समर्पित है, आइए जानते हैं माँ की पूजा विधि और मंत्र

Mata Maha Gauri :महागौरी, जो हमेशा महादेव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में हैं, इस दिन के पूजा से सोमचक्र जाग्रत होता है और इनकी कृपा से हर असंभव कार्य पूर्ण हो जाते हैं।
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नई दिल्ली , 22 अक्टूबर 2023 : नवरात्रि का आठवां और आज मां दुर्गा के आठवें स्वरूप, आदिशक्ति महागौरी की पूजा होगी। इस दिन का महत्वपूर्ण तात्पर्य देवी के मौल्यवान स्वरूप की पूजा के साथ है। देवी भागवत पुराण में यह बताया गया है कि मां के 9 रूप और 10 महाविद्याएं सभी आदिशक्ति के भिन्न-भिन्न अंश और स्वरूप हैं। महागौरी, जो हमेशा महादेव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में हैं, इस दिन के पूजा से सोमचक्र जाग्रत होता है और इनकी कृपा से हर असंभव कार्य पूर्ण हो जाते हैं।

अधिकांश घरों में इस दिन कन्या पूजन किया जाता है और कुछ लोग नवमी के दिन पूजा-अर्चना के बाद कन्या पूजन करते हैं। महागौरी ने अपनी तपस्या से गौर वर्ण प्राप्त किया था, और इसलिए इसे नवरात्र के आठवें दिन का विशेष महत्व है। धन-वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी के रूप में माता महागौरी का पूजन करने से विशेष फल प्राप्त होता है। इस दिन दुर्गा सप्तशती के मध्यम से चरित्र का पाठ करना भी फलदायी माना जाता है।

माता महागौरी की पूजा का अंतिम दिन विशेषता से मनाने के लिए भक्तों को आठ वर्ष की उम्र में उत्पन्न होने वाली इस देवी की भक्ति करनी चाहिए। उनकी पूजा का भोग नारियल और नारियल से बनी चीजों से लगाया जाता है और यह भोग ब्राह्मण को दिया जाता है। इसके पश्चात भक्तों में इसे प्रसाद रूप में बाँटा जाता है।

उन लोगों को, जो नवरात्रि के नौ दिन के व्रत नहीं रख पाते हैं, केवल पड़वा और अष्टमी के दिन व्रत रखने चाहिए और फिर नवमी के दिन कन्या पूजन करना चाहिए। पहले और आठवें दिन का व्रत करने से भी पूरे नौ दिन के व्रत का फल मिलता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, राजा हिमालय के घर देवी पार्वती का जन्म हुआ था और उनकी तपस्या ने उन्हें गौर वर्ण प्राप्त कराया था।

माता महागौरी का सांसारिक स्वरूप बहुत ही उज्जवल, कोमल, श्वेत वर्ण और श्वेत वस्त्रधारी है। उनका दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है, जबकि नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है, जो शक्ति का प्रतीक है। बायें हाथ में डमरू और नीचे वाला हाथ भी भक्तों को अभय दे रहा है। मां के हाथ में डमरू होने के कारण उन्हें शिवा भी कहा जाता है। इस स्वरूप में मां की शांति और दृष्टिगति की भावना होती है। इनकी पूजा से सभी व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

माता महागौरी का ध्यान मंत्र: "श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥ या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"

अष्टमी तिथि की पूजा बाकी नवरात्रि की तिथियों की तरह ही होती है। इस दिन मां के कल्याणकारी मंत्र "ओम देवी महागौर्यै नम:" का जप करना चाहिए और माता को लाल चुनरी अर्पित करनी चाहिए। जो जातक कन्या पूजन कर रहे हैं, उन्हें भी कन्याओं को लाल चुनरी चढ़ानी चाहिए। पहले लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और फिर माता की तस्वीर या मूर्ति पर सिंदूर व चावल चढ़ाएं। साथ ही मां दुर्गा का यंत्र रखने के लिए भी उसकी पूजा करें। मां के स्वरूप के ध्यान में रहकर सफेद फूलों को हाथ में ले कर भगवान का ध्यान करें और फिर अर्पित करें, विधिवत पूजा करें।

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