Navratri Special : जानिये कब और क्यों मनाया जाता है विजयदशमी का त्यौहार

Maa Navdurga : नवरात्र के नौवें दिन मनाई जाने वाली रामनवमी, यानी भगवान श्रीराम का जन्म, के बावजूद, शारदीय नवरात्र के दसवें दिन दशहरा का आयोजन किया जाता है।
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नई दिल्ली , 24 अक्टूबर 2023 : नवरात्र वर्ष में दो बार आती है, एक चैत्र माह में और दूसरी अश्वनी माह में। चैत्र नवरात्र को चैत्र नवरात्र और अश्वनी नवरात्र को शारदीय नवरात्र के रूप में जाना जाता है। नवरात्र के नौवें दिन मनाई जाने वाली रामनवमी, यानी भगवान श्रीराम का जन्म, के बावजूद, शारदीय नवरात्र के दसवें दिन दशहरा का आयोजन किया जाता है। इसमें भगवान श्रीराम का महत्वपूर्ण योगदान है। क्या आप जानते हैं कि नवरात्र की शुरुआत कब और कैसे हुई थी? तो आइए इन सभी प्रश्नों के उत्तर दें।

भगवान श्रीराम ने मां दुर्गा की पूजा को नौ दिनों तक किया था। शारदीय नवरात्र की शुरुआत भगवान राम ने की थी। उन्होंने समुद्र के किनारे अश्वनी माह में मां दुर्गा के नवरूपों की पूजा की शुरुआत की थी। इसकी विशेषता चंडी पूजा में थी। श्रीराम ने नौ दिनों तक शक्ति की पूजा की, जिससे उन्हें लंका पर विजय मिली और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। नौवे दिन, मां ने उन्हें विजयी बनाया, जिसके बाद उन्होंने लंका पर जाकर रावण को मार गिराया और इसके बाद नवरात्रि पूजा के बाद दसवें दिन को दशहरा कहा जाने लगा। इसमें असत्य पर सत्य की जीत का उत्साह है।

लंका युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए, ब्रह्माजी ने श्रीराम को चंडी देवी की पूजा करने की सलाह दी थी। उन्होंने भगवान श्रीराम से कहा कि वह चंडी देवी की पूजा में दुर्लभ एक सौ आठ नीलकमल का प्रयोग जरूर करें। वहीं, दूसरी ओर रावण ने भी अमरत्व प्राप्ति के लिए चंडी मां की पूजा के लिए यज्ञ और पाठ का आयोजन किया। जब रावण को पता चला कि भगवान श्रीराम भी चंडी यज्ञ कर रहे हैं, तो उसने अपनी माया से भगवान श्रीराम की पूजा में शामिल होने वाले नीलकमल में से एक को गायब कर दिया। जब भगवान श्रीराम को यह यत्रा के समय पता चला, तो उन्हें यह याद आया कि उन्हें भी लोग 'कमलनयन नवकंच लोचन' कहते हैं और इस स्मरण के साथ उन्होंने अपने नयनों को निकालने के लिए तलवार निकाली, तब माता चंडी वहां प्रकट हुईं और कहा कि वह उनकी भक्ति से बेहद प्रसन्न हैं और उन्हें लंका विजय का आशीर्वाद देती हैं।

हनुमान जी ने रावण का यज्ञ को असफल बनाया। “सहस्र चंडी पाठ के प्रथम मंत्र ‘हरिणी’ शब्द के बजाय ‘कारिणी’ कहने से मंत्र का उद्देश्य बदल गया था। और ह की जगह क का उच्चारण ब्राह्मणों ने हनुमान जी के कहने पर ही किया था। इससे मां चंडी का यज्ञ सफल नही हुआ। इसलिए नवरात्र पूजा के बाद दशमी के दिन भगवान श्रीराम के रावणवध की खुशी में दशहरा मनाया जाता है।

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