Ganesha Stuti Mantra: बुधवार के दिन करें भगवान गणेश की इस स्तुति का पाठ, मिलेगा संतान सुख मिटेगा संताप

Ganesha Stuti Mantra: यह स्तोत्र योग्य संतान का आशीर्वाद देता है। यदि आप भी योग्य संतान की इच्छा रखते हैं तो श्री गणेश के इस अद्भुत स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
Ganesha Stuti Mantra: बुधवार के दिन करें भगवान गणेश की इस स्तुति का पाठ, मिलेगा संतान सुख मिटेगा संताप

नई दिल्ली,रफ्तार डेस्क। Ganesha Stuti Mantra: सनातन धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। बुधवार के दिन सच्चे ह्रद्रय से भगवान गणेश की पूजा करने से मनुष्य के सारे दुख संकट समाप्त हो जाते हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जात है। भगवान गणेश को देवताओं में सर्वप्रथम पूज्य कहा जाता है। भगवान श्री गणेश की पूजा सदैव फलदायी मानी जाती थी और प्रथम पूज्य देवता के हृदय प्रिय गणपति सुतोत्र के इस प्रिय पुत्र ने लक्ष्मी और उनके बच्चों की देखभाल की। संता गणपति सुतोत्र का पाठ करने से पहले व्यक्ति को शुद्ध और पवित्र होना चाहिए। यह स्तोत्र योग्य संतान का आशीर्वाद देता है। यदि आप भी योग्य संतान की इच्छा रखते हैं तो श्री गणेश के इस अद्भुत स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।

संतान गणपति स्तोत्र

नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।

सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।

गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।

गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।

विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।

नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।

एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।

प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।

शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।

भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।

ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:।

पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।

विघ्न हरने के लिए गणेश स्तुति

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय, लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय!

नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय, गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते!!

भक्तार्तिनाशनपराय गनेशाश्वराय, सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय!

विद्याधराय विकटाय च वामनाय , भक्त प्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते!!

नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नम:!

नमस्ते रुद्राय्रुपाय करिरुपाय ते नम:!!

विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारणे!

भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक!!

लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय!

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!!

त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति ,

भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति!

विद्याप्रत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति,

तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव!!

गणेशपूजने कर्म यन्न्यूनमधिकं कृतम !

तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोSस्तु सदा मम !!

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