Falgun Amavasya Mantra: फाल्गुन अमावस्या के दिन करें इन मंत्रों का जाप, कट जाएंगे सारे कष्ट

फाल्गुन अमावस्या के दिन भगवान सूर्य, चंद्र देव और भगवान विष्णु की विशेष व्रत और पूजा का विधान है। इस दिन दान करने का भी विधान है।
Falgun Amavasya Mantra 2024
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नई दिल्ली रफ्तार डेस्क। 10 March 2024। हिन्दू धर्म के अनुसार सभी अमावस्या तिथियों के दिन पूजा-अर्चना का महत्व बताया गया है लेकिन फाल्गुन अमावस्या को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। माना जाता है, कि ये शुभ माह धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है।

फाल्गुन अमावस्या तिथि का महत्त्व

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक,फाल्गुन अमावस्या तिथि पर गंगा स्नान का नियम बताया गया है। स्नान और दान करने से सभी प्रकार के दुखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। आर्थिक स्थिरता की प्राप्ति होती है। विभिन्न प्रकार के कार्यों में आ रही बाधाएं और अड़चनें दूर होती है। फाल्गुन अमावस्या तिथि पर पांच लाल फूल और पांच जलते हुए दीपक पवित्र नदी में प्रवाहित करने से घर में आर्थिक संपन्नता का स्थायी वास होता है। आर्थिक संकटों से छुटकारा मिलता है।

पूजा विधि

फाल्गुन अमावस्या के दिन आपको ब्रह्म मुहूर्त में उठाना चाहिए। इसके बाद स्नान ध्यान करके विष्णु भगवान का स्मरण करें और व्रत करने का संकल्प लें। भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें। कोशिश करें, अमावस्या के दिन आप साफ सुथरा ही कपड़ा पहने। भगवान विष्णु, भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करने के बाद गरीबों को दान जरूर दें।

फाल्गुन अमावस्या के दिन न करें यह काम

फाल्गुन अमावस्या के दिन आपको बाल या नाखून नहीं काटना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से हमारे पूर्वज और भगवान हमसे रूठ जाते हैं जिसके कारण हमारे जीवन में कई सारी परेशानियां आने लगती हैं।

फाल्गुन अमावस्या तिथि के दिन किसी भी तरह का नया काम, व्यापार, शुभ कार्य आदि करने से बचना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार अमावस्या तिथि के दिन शुरू किए गए नए कार्य में सफलता प्राप्त नहीं होती है।

फाल्गुन अमावस्या के दिन दूसरे के घर का खाना खाने से बचना चाहिए। इससे पुण्य फल समाप्त हो सकता है।

फाल्गुन अमावस्या के दिन पैसों की लेन-देन करने से बचें। इससे आर्थिक परेशानियां बढ़ सकती है इसीलिए इस दिन पैसों का लेनदेन ना करें।

इन मंत्रों का करें जाप

ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।

ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:।

ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नम:।

ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।

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