Mata Siddhidatri Mantra: मां सिद्धिदात्री की इन मंत्रों से करें पूजा, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

नवरात्रि के 9 वें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने का विधान हैं। इस दिन माता की पूजा करके नवरात्रि में हुई भूल की क्षमा भी मांगनी चाहिए।
Mantra of Maa Siddhidatri
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नई दिल्ली रफ्तार डेस्क।17April 2024। नवरात्रि का आज आखरी दिन है और आज मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करके कन्या पूजन करने का विधान रहा है। एसी मान्यताएं हैं कि मां के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करने से सभी सिद्धियां और मनोकामना पूर्ण होती हैं। इसीलिए माता की पूजा करते समय उनके मंत्रों का भी जाप करना चाहिए।

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप और महत्व

मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सिद्धियां प्राप्त होती है। इसीलिए आज के दिन ऋषि मुनि, साधारण मनुष्य और किन्नर भी माता रानी की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने भी माता को प्रसन्न करके सिद्धियां प्राप्त की थी। भागवत पुराण की कथा के अनुसार, भगवान शिव ने 8 सिद्धियों की प्राप्ति के लिए मां सिद्धिदात्री की पूजा की। उनके ही प्रभाव से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। तब भगवान शंकर का वह रूप अर्द्धनारिश्वर कहलाया। माता का स्वरूप बिल्कुल निराला हैं लाल वस्त्र धारण करने वाली मां सिद्धिदात्री कमल पर विराजती हैं। वे अपने चारों हाथों में शंख, चक्र, गदा ओर कमल पुष्प धारण करती हैं।

पूजा विधि

मां सिद्धिदात्री की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराकर वस्त्र अर्पित करें। सिंदूर, अक्षत्, फूल, माला, फल, मिठाई आदि चढ़ाएं। मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए तिल हलवा चना का भोग लगाएं। और कमल का फूल अरर्पित करें। इसके बाद आप हवन करें और कन्या पूजा करें। कन्या पूजा के बाद आप प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारण करें।

मां सिद्धिदात्री का भोग

नवरात्रि के 9 वें दिन माता सिद्धिदात्री को हलवा, पूड़ी, काले चने, मौसमी फल, खीर और नारियल का भोग लगाया जाता है। माता की पूजा करते समय आप बैगनीय जामुनी रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं इससे माता रानी काफी ज्यादा प्रसन्न होती हैं।

इन मंत्रों का करें जाप

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी

अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा, कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च।

मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले; भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।

ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।

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