
नई दिल्ली , 15 नवंबर 2023 :छठ पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो मुख्य रूप से सूर्य देव को समर्पित है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है और मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पूर्वी नेपाल में मनाया जाता है।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का महत्व सूर्य देव की पूजा करना है, जो जीवन के दाता माने जाते हैं। छठ पूजा के दौरान लोग सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं और उन्हें अर्घ्य देते हैं।
छठ पूजा से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। एक मान्यता के अनुसार, छठ पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है और बच्चों की लंबी आयु होती है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, छठ पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।
छठ पूजा की तिथियां
छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाई जाती है। इस वर्ष 2023 में छठ पूजा की तिथियां निम्नलिखित हैं:
नहाय खाय: 17 नवंबर, 2023
खरना: 18 नवंबर, 2023
संध्या अर्घ्य: 19 नवंबर, 2023
व्रत का पारण: 20 नवंबर, 2023
छठ पूजा की विधि
छठ पूजा की विधि कुछ इस प्रकार है:
नहाय खाय: इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और एक बार ही भोजन किया जाता है।
खरना: इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक निर्जला व्रत रखा जाता है। सूर्यास्त के बाद भोजन बनाकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
संध्या अर्घ्य: इस दिन भी निर्जला व्रत रखा जाता है और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
व्रत का पारण: इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और उसके बाद व्रत खोला जाता है।
छठ पूजा में प्रसाद
छठ पूजा में प्रसाद के रूप में ठेकुआ, खरना का प्रसाद, चावल के लड्डू, फल और मिठाई चढ़ाई जाती है।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो प्रकृति की पूजा का प्रतीक है। छठ पूजा के दौरान लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं, जो जीवन के दाता माने जाते हैं। छठ पूजा लोगों को प्रकृति के प्रति सम्मान करना और उसका संरक्षण करना सिखाती है।
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है। छठ पूजा के दौरान लोग धर्म, जाति और वर्ग के बंधनों से ऊपर उठकर एक साथ मिलकर सूर्य देव की पूजा करते हैं।
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। छठ पूजा के दौरान लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं और एक-दूसरे के घर जाकर पर्व की बधाई देते हैं।
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