
नई दिल्ली , 18 नवंबर 2023 : महापर्व छठ के व्रत के द्वारा सूर्यदेव की पूजा करने वाले भक्तों के लिए छठी मईया कहा जाता है कि वे सच्चे मन से मनोकामनाएं पूरी करती हैं। यह त्योहार चार दिन तक चलता है, जिसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय से होती है। पंचमी पर खरना, षष्ठी पर छठ पूजा, और सप्तमी तिथि पर उषा अर्घ्य होता है। इस पूजा के दौरान, भक्त विधि-विधान के अनुसार पूजा करके संतान प्राप्ति, संतान सुरक्षा, और सुखमय जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं।
छठ पूजा में उपयुक्त मंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है, जैसे कि
छठ पूजा मंत्र (Chhath Puja mantra) ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:, ॐ सूर्याय नम:, ॐ भानवे नम:, ॐ खगाय नम:, ॐ घृणि सूर्याय नम:, ॐ पूष्णे नम:, ॐ हिरण्यगर्भाय नम:, ॐ मरीचये नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ सवित्रे नम:, ॐ अर्काय नम:, ॐ भास्कराय नम:, ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:
सूर्यदेव मंत्र (Chhath Puja Surya mantra) आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते।।
अर्घ्य मंत्र (Chhath Puja Surya Arghya mantra) ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।। ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।
छठ पूजा की पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियव्रत की पत्नी मालिनी नामक थीं और उनका कोई संतान नहीं था। इसके कारण राजा और रानी ने महर्षि कश्यप से संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ कराया। उसके बाद रानी गर्भवती हुई और षष्ठी देवी के साक्षात्कार से राजा को संतान प्राप्ति की आशा हुई, जिसे देवी ने अनुग्रहित किया। इस प्रकार, छठ पूजा का आयोजन हुआ और इसे संतान प्राप्ति की आशीर्वाद देने वाला माना गया।
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