नई दिल्ली रफ्तार डेस्क 14 January 2024: हर घर में किसी भी पूजा पाठ से पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। वहीं विनायक चतुर्थी के दिन भगवान की पूजा अर्चना करने का एक अलग महत्व और मंत्र बताया गया है। जिसके द्वारा भगवान गणेश को प्रसन्न किया जाता है
अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। यह दिन भगवान गणेश की आराधना के लिए समर्पित है। इस दिन गणेश जी की श्रद्धापूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। वहीं इस दिन भगवान को दूर्वा, शमी के पत्ते,गेंदा के फूल और हल्दी की गांठ चढ़ाने का एक अलग महत्व है। गणेश जी का दूर्वा अत्यंत प्रिय है। ऐसा करने से आपको गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। एक लकड़ी की चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। गाय के घी का दीया जलाएं, माला और दूर्वा घास अर्पित करें। इस शुभ दिन पर विशेष प्रसाद चढ़ाने का विधान है, जो बूंदी का लड्डू या फिर मोदक होता है। गणेश चालीसा का पाठ करें और भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें। विधि अनुसार आरती करें। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत खोलें। इस दिन सात्विक भोजन का ही उपयोग करें।
ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।”
अन्य ख़बरों के लिए क्लिक करें - www.raftaar.in
डिसक्लेमर
इस लेख में प्रस्तुत किया गया अंश किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की पूरी सटीकता या विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता। यह जानकारियां विभिन्न स्रोतों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/प्रामाणिकताओं/धार्मिक प्रतिष्ठानों/धर्मग्रंथों से संग्रहित की गई हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य सिर्फ सूचना प्रस्तुत करना है, और उपयोगकर्ता को इसे सूचना के रूप में ही समझना चाहिए। इसके अतिरिक्त, इसका कोई भी उपयोग करने की जिम्मेदारी सिर्फ उपयोगकर्ता की होगी।