नई दिल्ली रफ्तार डेस्क। 8 April 2024। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ ही विष्णु भगवान और पीपल वृक्ष की भी पूजा अर्चना की जाती हैं। चैत्र माह की अमावस्या की तिथि सोमवार को पड़ने के कारण यह सोमवती अमावस्या कहलाती है। इस दिन देव-पितर की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
अमावस्या तिथि का योग जब सोमवार को बनता है। तब उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस दिन गंगाजी या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत पुण्यकारी माना गया है। इसके साथ ही इस दिन दान देने का भी बहुत महत्व होता है। इस दिन पितर की पूजा करके आप पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं। अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष में पितरों का वास होता है। इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सोमवती अमावस्या के दिन सरसों का तेल का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
अक्सर हम भगवान की पूजा के लिए रूई का इस्तेमाल करते हैं। सोमवती अमावस्या के दिन रूई का दिया नहीं जलाना चाहिए। एक दिन आप धूप बत्ती का प्रयोग कर सकते हैं।
इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है उसे गद्दे में नहीं सोना चाहिए। क्योंकि गद्दे में भी रूई भरा होता है। उसे जमीन पर ही विश्राम करना चाहिए।
ॐ कुल देवताभ्यो नमः।
ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः।
ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः।
ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदा सिंधु कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू।।
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
ॐ पितृभ्य: नम।
सोमवती अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो आप शिवलिंग का अभिषेक करें और उसके साथ भोलेनाथ के चमत्कारी मंत्रों का जाप करें।
ऊँ नम: शिवाय।।
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
नमो नीलकण्ठाय।
ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:
ॐ प्रधानाय नम:
ॐ व्योमात्मने नम:
ॐ पार्वतीपतये नमः
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