Paush Amavasya Mantra: पौष अमावस्या के दिन करें इन मंत्रों का जाप दूर होंगी सभी परेशानियां

पौष अमावस्या के दिन भगवान सूर्य, चंद्र देव और भगवान विष्णु की विशेष व्रत और पूजा का विधान है। शास्त्रों में इस दिन के लिए कई पूजा विधि बताए गए हैं। जिन्हें करके विशेष फल की प्राप्ति होती है।
Mantra of Paush Amavasya
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नई दिल्ली रफ्तार डेस्क 11 January: हिन्दू धर्म के अनुसार सभी अमावस्या तिथियों के दिन पूजा-अर्चना का महत्व बताया गया है। लेकिन इन सब में पौष मास की अमावस्या को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। माना जाता है कि ये शुभ माह धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए यह सर्वश्रेष्ठ होता है। पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से ना ही केवल हमारे पितृगण तृप्त और खुश होते हैं बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। जिसे हमारे परिवार में सुख शांति बनी रहती है।

इस साल की पहली अमावस्या तिथि

पंचांग के अनुसार 2024 वर्ष की पहली अमावस्या पौष माह में पड़ रही है। पौष माह को छोटा श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। तो चलिए जानते हैं कब है 2024 की पहली अमावस्या।पौष माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 10 जनवरी को रात 08 बजकर 10 मिनट पर होगी और 11 जनवरी शाम 5 बजकर 26 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार पौष अमावस्या 11 जनवरी गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। पौष अमावस्या पर किए गए कार्य और मंत्र व्यक्ति के जीवन को सुखी और खुशहाल बना देते हैं। इसके साथ कुछ उपाय भी होते हैं जिनको करके आप अपने जीवन के कष्टों को काट सकते हैं।

पौष अमावस्या के दिन करें यह उपाय

  • अमावस्या तिथि के दिन पितृ स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करने से भी पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

  • अमावस्या तिथि के दिन पीपल वृक्ष की पूजा का भी विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म के अनुसार पीपल के वृक्ष में देवताओं का वास होता है। इस दिन इस वृक्ष को जल अर्पित करें और दीपक जलाएं। ऐसा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

पौष अमावस्या के दिन करें इन मंत्रों का जाप

  • ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।

  • ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।

  • ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:।

  • ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नम:।

  • ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।

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