पार्श्वनाथ स्तवन जी की आरती (Pashrvnath Stavan Arti)
पार्श्वनाथ स्तवन तुम से लागी लगन,ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा, मेटो मेटो जी संकट हमारा।
निशदिन तुमको जपूँ, पर से नेह तजूँ,जीवन सारा, तेरे चाणों में बीत हमारा अश्वसेन के राजदुलारे, वामा देवी के सुत प्राण प्यारे।
सबसे नेह तोड़ा, जग से मुँह को मोड़ा, संयम धाराइंद्र और धरणेन्द्र भी आए, देवी पद्मावती मंगल गाए।
आशा पूरो सदा, दुःख नहीं पावे कदा, सेवक थारा जग के दुःख की तो परवाह नहीं है, स्वर्ग सुख की भी चाह नहीं है।
मेटो जामन मरण, होवे ऐसा यतन, पारस प्यारालाखों बार तुम्हें शीश नवाऊँ, जग के नाथ तुम्हें कैसे पाऊँ ।
पंकज व्याकुल भया दर्शन बिन ये जिया लागे खारा
मैं तो आरती ऊतारूँ रे, पारस प्रभुजी की, जय-जय पारस प्रभु जय-जय नाथ॥बड़ी ममता माया दुलार प्रभुजी चरणों में बड़ी करुणा है, बड़ा प्यार प्रभुजी की आँखों में, गीत गाऊँ झूम-झूम, झम-झमा झम झूम-झूम, भक्ति निहारूँ रे, ओ प्यारा-प्यारा जीवन सुधारूँ रे।मैं तो आरती ऊतारूँ रे... ॥
सदा होती है जय जयकार प्रभुजी के मंदिर में ... (२) नित साजों की होर झंकार प्रभुजी के मंदिर में ... (२)नृत्य करूँ, गीत गाऊँ, प्रेम सहित भक्ति करूँ,कर्म जलाऊँ रे, ओ मैं तो कर्म जलाऊँ रे, मैं तो आरती ऊतारूँ रे, पारस प्रभुजी की॥