Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी कब है, ये क्यों मनाई जाती है... जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Ganesh Chaturthi 2023: पूरे भारतवर्ष में गणेश चतुर्थी उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाता है, लेकिन बहुत कम ही लोगों को पता है । गणेश चतुर्थी के मनाने के पीछे की कहानी क्या है।
गणेश चतुर्थी
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नई दिल्ली रफ्तार न्यूज डेस्क: भारत त्योहारों का देश है।  प्रतिदिन यहां कोई ना कोई व्रत  या त्यौहार होता ही है। दीपोत्सव की तरह ही गणेश चतुर्थी भी भारतीयों का प्रमुख त्यौहार है। भारतीय हिंदू महीने में प्रत्येक चंद्रमा मास में दो गणेश चतुर्थी तिथियां होती हैं।  पूर्णमासी या कृष्ण पक्ष के दौरान पूर्णिमा को संकष्टी चतुर्थी के रूप में जाना जाता है ,तो वहीं शुक्ल पक्ष के दौरान अमावस्या के बाद एक विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाते हैं।  इस दिन लोग अपने-अपने घर में गणेश जी की स्थापना करते हैं और फिर अनंत चतुर्दशी के दिन उनको विदा कर देते हैं।  गणेश चतुर्थी को गणेश जी की जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, आखिर इसके पीछे की पौराणिक मान्यता क्या है ?आईए जानते हैं।

गणेश चतुर्थी का महत्व :

हिंदू धर्म में गणेश भगवान को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। जब भी हम किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत करते हैं तो गणेश जी की ही पूजा अर्चना की जाती है। क्योंकि भगवान गणेश बुद्धि, सुख, समृद्धि और विवेक के देवता माने गए है। गणेश चतुर्थी में भगवान गणेश की भक्ति करने से भक्त की सभी मनोकामना पूरी होती है। गणेश अपने भक्त की हर संकट से रक्षा करते है।

क्यों मनाते है गणेश चतुर्थी :

गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।  पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी का दिन माता पार्वती के पुत्र गणेश जी का जन्म हुआ था। इसलिए भाद्रपद मास शुक्ल  के पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन हर साल गणेश की चतुर्थी मनाई जाती है।  इसके अलावा एक अन्य पौराणिक कथा के मुताबिक महर्षि वेदव्यास जी ने भगवान गणेश जी से महाभारत की रचना को लिपिबद्ध करने के प्रार्थना की थी।  जिसके बाद गणेश चतुर्थी के दिन ही व्यास जी ने श्लोक बोलना और गणेश जी ने बिना रुके 10 दिन तक लगातार से उसे लिपिबद्ध करना शुरू किया था। इन 10 दिनों में गणेश जी पर धूल मिट्टी की परत चड़ गई थी, इस परत को साफ करने के लिए गणेश जी ने दसवें दिन सरस्वती नदी में स्नान किया और फिर  इसी वजह से गणेश चतुर्थी को मनाया जाने लगा। कई जगहों पर गणेश चतुर्थी के दिन पंडाल और भंडारे का आयोजन किया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्योहार सबसे अधिक लोकप्रिय महाराष्ट्र में होता है। 

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