
नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: हिंदू धर्म में सभी त्योहारों का विशेष महत्व माना गया है। उनमें से एक त्यौहार है। अहोई अष्टमी , अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए करती हैं। कहा जाता है कि इसी दिन से दिवाली की शुरुआत भी हो जाती है। यह व्रत करवाचौथ के चार दिन बाद रखा जाता है इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास करती है और अपनी संतान की लंबी अवधि के लिए मंगलकामना करती है। हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी के त्यौहार मनाया जाता है। अहोई अष्टमी का त्योहार इस बार 5 नवंबर यानी कल मनाया जाएगा। लेकिन इस दौरान यह देखा गया है कि कई महिलाओं को पूजा करने के सही तरीके मालूम नहीं होता है। और जाने अनजाने वो गलतियां कर बैठती है। ऐसे में कुछ बातों को जरूर जानना चाहिए।
* अहोई अष्टमी का यह पर्व प्रत्येक कार्तिक माह की अष्टमी को मनाया जाता है।
* इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सबसे पहले स्नान करें फिर साफ सुथरा एक वस्त्र धारण करें ध्यान रहे कि इस दिन काले वस्त्र बिल्कुल ना पहनें।
* इसके पश्चात आप अहोई माता की तस्वीर बनाएं या फिर मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद कलश में जल रखकर सच्चे श्रद्धा भाव से माता की आराधना करें और माता के सामने हाथ जोड़कर निर्जला व्रत रखने का संकल्प लें।
* ध्यान रहे इस पर्व के मौके पर अपने मन में किसी के प्रति कोई गलत भावना ना रखें। इसके पश्चात माता को पुष्प अर्पित करें और कलश में जल भरकर अहोई माता की कथा सुनें।
* इसक बाद अहोई माता के साथ-साथ गणेश भगवान और कार्तिक की भी आराधना करना ना भूले। इस मौके पर खीर, पूड़ी आदि पकवानों के साथ माता को भोग लगाएं।
* अहोई अष्टमी के दिन तारों को अर्घ्य देते हैं । तारों के निकलने के बाद ही अपने उपवास को खोलकर तभी पानी पिएं फिर भोजन ग्रहण करें।
* अहोई अष्टमी के दिन अपने सास ससुर के लिए बयाना जरूर निकालें। अगर आपके साथ ससुर ना हो तो अपना बयाना किसी पंडित या किसी बुजुर्ग को दे सकते हैं।
* अहोई अष्टमी के दिन व्रत कथा सुनते समय अनाज अपने हाथ में रखें। पूजा के बाद इस अनाज को गाय को खिला दें।
* अहोई अष्टमी के दिन पूजा करते समय अपने बच्चों को पास बीठाएं। और अहोई माता के भोग लगाने के बाद उन्हें प्रसाद खिलाएं।
* अहोई अष्टमी के दिन मिट्टी को बिल्कुल भी हाथ ना लगाएं। और ना ही इस दिन खुरपी से कोई पौधा उखाड़े।