गोवर्धन पूजा कब है, शुभ मुहूर्त के साथ जानिए सही तिथि , पूजा विधि और महत्व

हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर मनाया जाता है।  इस दिन भगवान गोवर्धन यानी गिरिराज की पूजा करने का विधान है।
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नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: गोवर्धन पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना गया है। यह त्यौहार हर साल कार्तिक मास  के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन यानी  भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाने की परंपरा है। साथ ही यह त्योहार भगवान श्री कृष्णा और गाय माता को समर्पित है। वहीं  मान्यता  है कि भगवान श्री कृष्ण ने देवों के राजा इंद्रदेव का घमंड चूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था और गोकुल के लोगों की रक्षा की थी। यह त्यौहार मथुरा और वृंदावन में विशेष रूप से बनाया जाता है। यह त्योहार ठीक दिवाली के दूसरे दिन होता है। आईए जानते हैं गोवर्धन पूजा की सही तिथि क्या है और सही मुहूर्त और पूजा विधि का सही तरीका क्या है। 

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त मंगलवार यानी 14 नवंबर 2023 को शुभ माना गया है । गोवर्धन पूजा का शुभ समय है सुबह 6 बजकर 45 मिनट से सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। इसका आरंभ 13 नवंबर 2023  दोपहर 2 बजकर 56 से शुरू हो जाएगा।

गोवर्धन पूजा विधि 

गोवर्धन पूजा के लिए भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए। फिर घर के मंदिर की सफाई करनी चाहिए। घर के मंदिर में दीपक जलाएं।  गाय के गोबर से गोवर्धन बनाएं। उसकी पूजा विधि विधान से करें।  इस दिन 56 भोग बनाएं । और उन्हें प्रसाद के रूप में गोवर्धन की मूर्ति पर चढ़ाए।  फिर मंत्रो का जाप कर  गाय के गोबर से गोवर्धन बनाएं । और विधि के अनुसार पूजा करें।  मंत्र बोलते हुए गोवर्धन मूर्ति की परिक्रमा करें।  अंत में गोवर्धन की आरती करें।  पूजा का समापन करने से पहले आशीर्वाद प्राप्त करें।

गोवर्धन पूजा का महत्व क्या है

ऐसी मान्यता है कि बृजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी उंगली में उठाकर हजारों जीव जंतुओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के क्रोध से बचाया था। श्री कृष्ण ने इंद्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत को स्थापित कर पूजन किया था। तभी से  इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं। कुछ लोग गाय के गोबर से गोवर्धन का पर्वत बनाकर उसे पूजते है।  

समरी

*गोवर्धन पूजा कब है, शुभ मुहूर्त के साथ जानिए सही तिथि , पूजा विधि और महत्व

*हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर मनाया जाता है।  इस दिन भगवान गोवर्धन यानी गिरिराज की पूजा करने का विधान है।

*गोवर्धन पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना गया है। यह त्यौहार हर साल कार्तिक मास  के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। 

* इस दिन घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन यानी  भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाने की परंपरा है। साथ ही यह त्योहार भगवान श्री कृष्णा और गाय माता को समर्पित है।

*  वहीं  मान्यता  है कि भगवान श्री कृष्ण ने देवों के राजा इंद्रदेव का घमंड चूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था और गोकुल के लोगों की रक्षा की थी।

*  यह त्यौहार मथुरा और वृंदावन में विशेष रूप से बनाया जाता है। यह त्योहार ठीक दिवाली के दूसरे दिन होता है। आईए जानते हैं गोवर्धन पूजा की सही तिथि क्या है और सही मुहूर्त और पूजा विधि का सही तरीका क्या है। 

* गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त मंगलवार यानी 14 नवंबर 2023 को शुभ माना गया है । गोवर्धन पूजा का शुभ समय है सुबह 6 बजकर 45 मिनट से सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। इसका आरंभ 13 नवंबर 2023  दोपहर 2 बजकर 56 से शुरू हो जाएगा।

*गोवर्धन पूजा के लिए भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए। फिर घर के मंदिर की सफाई करनी चाहिए। घर के मंदिर में दीपक जलाएं।  गाय के गोबर से गोवर्धन बनाएं। उसकी पूजा विधि विधान से करें।  इस दिन 56 भोग बनाएं ।

*  और उन्हें प्रसाद के रूप में गोवर्धन की मूर्ति पर चढ़ाए।  फिर मंत्रो का जाप कर  गाय के गोबर से गोवर्धन बनाएं । और विधि के अनुसार पूजा करें।  मंत्र बोलते हुए गोवर्धन मूर्ति की परिक्रमा करें।  अंत में गोवर्धन की आरती करें।  पूजा का समापन करने से पहले आशीर्वाद प्राप्त करें।

*ऐसी मान्यता है कि बृजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी उंगली में उठाकर हजारों जीव जंतुओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के क्रोध से बचाया था।

*  श्री कृष्ण ने इंद्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत को स्थापित कर पूजन किया था। तभी से  इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं। कुछ लोग गाय के गोबर से गोवर्धन का पर्वत बनाकर उसे पूजते है। 

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