Vastu Tips for School: आप भी खोलाना चाहते हैं अपना खुद का स्कूल? जरूर अपना लें ये 3 वास्तु नियम
नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। स्कूल एक ऐसी जगह होती है जहां शिक्षा का उदय होता। विद्यालय को ज्ञान का मंदिर माना जाता है। यहां पर बचपन से ही बच्चों को अच्छी शिक्षा, साकारात्मक ऊर्जा मिलती है। घर के बाद यदि कोई ऐसी जगह है जहां बच्चे सबसे ज्यादा समय बिताते हों, तो वो है स्कूल। स्कूल बच्चों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि स्कूल बनाते समय वास्तु नियम का विशेष ध्यान देना चाहिए। यदि आप भी स्कूल खोलना चाहते हैं तो कुछ वास्तु नियमों को ध्यान में रखें। आइए जानते हैं क्या है नियम...
स्कूल के लिए वास्तु टिप्स
स्कूल का प्रवेश द्वार : स्कूल हो या शिक्षण संस्थान उनका प्रवेश द्वार प्रवेश द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में होना शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इन दिशाओं से साकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होती है। यदि स्कूल बहुत बड़ा है, तो बच्चों के आने-जाने की सुविधा के लिए उत्तर या पूर्व की ओर कई प्रवेश द्वारों पर विचार किया जा सकता है।
विद्यालय का स्थान : स्कूल बनाते समय स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार स्कूल का जोन शहर में होना चाहिए। शहर के जोन में अगर स्कूल होता है, तो वहां गांव के और आस-पास के इलाके के बच्चों के लिए भी आना सुविधाजनक होता है।
कक्षाओं का स्थान : स्कूल में कक्षाओं का स्थान सुनिश्चि होना चाहिए। जिस स्कूल की कक्षाएं सही ढंग की नहीं होती वहां तरक्की के नहीं आती है।वास्तु शास्त्र के अनुसार कक्षा उत्तर पूर्व या उत्तर की ओर मुख वाला होना चाहिए। पढ़ाई के समय छात्रों की स्थिति कक्षा के पूर्व या उत्तर की ओर होनी चाहिए।