
नई दिल्ली , 24 अक्टूबर 2023 : जीवन में सभी की इच्छा होती है कि वह सभी सुख-सुविधाओं से युक्त हों और एक सुखी जीवन बिता सकें। सभी इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए मेहनत और प्रयास करते हैं, लेकिन इस सपने का साकार होना किसी के लिए जल्दी होता है तो किसी के लिए देर से होता है। वहीं कुछ लोग, जीवन में सभी सुख-साधनों के बावजूद, उन्हें ठीक से आनंद नहीं आता है। अगर आपके जीवन में आपकी खुशियां अचानक से गायब हो गईं हैं, तो नीचे दिए गए पंचतत्वों पर आधारित वास्तु उपाय उसे दूर करने में सहायक हो सकते हैं।
दिशा का खास ध्यान रखें: वास्तु के अनुसार, सुख-समृद्धि की आकांक्षा रखने वाले व्यक्ति को अपने घर के उत्तर-पूर्व दिशा, यानी ईशान कोण का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। इसे ईश्वर की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। ईशान कोण में कभी भी गंदगी या कचरा नहीं जमा करना चाहिए और इस दिशा में भूमि को खुरदुरी या ऊँची-नीची नहीं होने देना चाहिए। अपने घर की पूजा को हमेशा ईशान कोण में ही स्थापित करें।
दिशा में पानी का बहाव: वास्तु के अनुसार, घर में कभी भी उत्तर से दक्षिण की दिशा की ओर ढलान या पानी का बहाव नहीं होना चाहिए। घर के पानी की निकासी हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए।
दक्षिण दिशा का वास्तु नियम: वास्तु के अनुसार, घर का उत्तर-पूर्व भाग जहां खुला रखना चाहिए, वहीं दक्षिण दिशा की ओर मकान का भाग हमेशा ऊँचा रखना चाहिए। इस दिशा में अपने घर के दिवंगत परिजनों की तस्वीरें भी टांगनी चाहिए।
जल से जुड़ा वास्तु दोष: वास्तु के अनुसार, घर के भीतर पानी से जुड़े स्थान पर किसी भी प्रकार का दोष नहीं होना चाहिए। ऐसे दोष को जल्दी ही दूर करना चाहिए।
5. मेन गेट कैसा होना चाहिए: वास्तु के अनुसार, घर के प्रवेश द्वार से ही आपके घर में खुशियों और धन की देवी का आगमन होता है, इसलिए इसे हमेशा साफ-सुथरा और सुसज्जित रखना चाहिए। यदि इसमें कोई दोष है, तो उसे तुरंत दूर करना चाहिए।
6. छत का वास्तु नियम: वास्तु के अनुसार, घर की छत पर कभी भी कबाड़ इकट्ठा करके नहीं रखना चाहिए और न ही छत पर कांटे वाले पौधे लगाना चाहिए। छत को हमेशा साफ रखना चाहिए और उत्तर पूर्व दिशा की ओर स्थान खाली रखना चाहिए।
7. किचन का वास्तु नियम: वास्तु के अनुसार, किचन को बनाते समय हमेशा वास्तु नियम का ध्यान रखना चाहिए। किचन के लिए सबसे शुभ दिशा दक्षिण-पूर्व होती है और इस दिशा में बने किचन के भीतर चूल्हा भी दक्षिण-पूर्व में ही रखना चाहिए।
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