नई दिल्ली,रफ्तार डेस्क। सनातन धर्म में सावन का महीना बहुत पवित्र माना जाता है। सावन का पवित्र महीना जारी है, लेकिन लोग पूजा-पाठ, व्रत आदि करते हैं। भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बेलपत्र मुख्य रूप से भगवान शिव की पूजा में चढ़ाया जाता है। इससे वे जल्दी संतुष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मनचाहा फल देते हैं। शास्त्रों में बेलपत्र से जुड़े कुछ खास नियमों के बारे में बताया गया है। हर चीज को करने का कुछ ना कुछ नियम होता है। भगवान शंकर को बेलपत्र बेहद ही प्रिय है। आइए जानते हैं शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय किन विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।
बेलपत्र से जुड़े नियम
यदि आप नियमित रूप से अपने भाई-बहनों को बेलपत्र अर्पित करेंगे तो भगवान अत्यंत प्रसन्न होंगे। बेलपत्र हमेशा चढ़ाने से एक दिन पहले ही तोड़ लेना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार यदि आपको नया बेलपत्र नहीं मिला है तो आप शिवालय में चढ़ाए गए बेलपत्र को धोकर दोबारा उपयोग में ले सकते हैं।
गलती से भी बेलपत्र को जड़ से ना तोड़े ना ही उसके पौधे को कोई नुकसान पहुंचाएं।
जब भी आप बेलपत्र तोड़ें तो बेलपत्र के सामने पेड़ को अवश्य प्रणाम करें और बेलपत्र तोड़ने के बाद।
ऐसा माना जाता है कि सोमवार के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। इसके अलावा चतुर्थी, अष्टमी, नवम तिथि, प्रदेश व्रत, शिवरात्रि के दिन भी बेलपत्र को ना तोड़ें।
बेलपत्र का पौधा घर से उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। इस दिशा में बेलपत्र का पौधा लगाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
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