नई दिल्ली रफ्तार डेस्क 10January 2024: वास्तु शास्त्र हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। कहते हैं कि कोई भी काम वास्तु के हिसाब से किया जाए तो घर में सुख शांति रहती है और दरिद्रता दूर होती है। भाई हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा करने का बहुत बड़ा महत्व है हम भगवान की पूजा अर्चना करके उन्हें प्रसन्न करते हैं। लेकिन वास्तु के हिसाब से भगवान की मूर्ति और भगवान की पूजा किस हिसाब से करना चाहिए इसका एक अलग नियम बताया गया है।
भगवान गणेश की मूर्ति का मुंह कभी दक्षिण में नहीं होना चाहिए।कहते है कि वास्तु शास्त्र के अनुसार भगवान गणेश की मूर्ति का मुंह दक्षिण दिशा में होना अशुभ होता है।
घर पर आप जब भी भगवान गणेश की मूर्ति रख रहे हैं तो इस बात का ध्यान दें कि उनके हाथ में लड्डू होना चाहिए और उनका सूंड बाएं हाथ की तरफ होना चाहिए।
वास्तु के अनुसार सिंदूरी रंग के गणपति की पूजा आराधना करने से वास्तु दोष दूर हो सकता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर या ऑफिस में किसी जगह में वक्रतुंड की प्रतिमा यानी भगवान श्री गणेश की प्रतिमा लगाने से वास्तु दोष दूर होता है।
घर के ब्रह्म स्थान में ईशान कोण या पूर्व दिशा में दुखहर्ता यानी भगवान श्री गणेश की मूर्ति अथवा चित्र लगाना बेहद शुभ होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में सफेद रंग की गणेश जी की मूर्ति लगाने से वास्तु दोष दूर होता है
वास्तु शास्त्र में क्रिस्टल को सबसे उत्तम धातु माना गया है। अगर हम घर में क्रिस्टल से बनी गणेश जी की मूर्ति स्थापित करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
गणेशजी के साथ-साथ क्रिस्टल की लक्ष्मी की पूजा करना धन सौभाग्य देने वाला है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में जब भी गणेशजी की मूर्ति हमेशा बैठी हुई मुद्रा में ही स्थापित करें।
गणेशजी की प्रतिमा घर के दरवाजे के बाहर नहीं लगानी चाहिए। अगर आपको गणेशजी की प्रतिमा खड़ी हुई मुद्रा में लगानी है तो आप अपने कार्यस्थल या ऑफिस की डेस्क पर लगा सकते हैं।
अन्य ख़बरों के लिए क्लिक करें - www.raftaar.in
डिसक्लेमर
इस लेख में प्रस्तुत किया गया अंश किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की पूरी सटीकता या विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता। यह जानकारियां विभिन्न स्रोतों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/प्रामाणिकताओं/धार्मिक प्रतिष्ठानों/धर्मग्रंथों से संग्रहित की गई हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य सिर्फ सूचना प्रस्तुत करना है, और उपयोगकर्ता को इसे सूचना के रूप में ही समझना चाहिए। इसके अतिरिक्त, इसका कोई भी उपयोग करने की जिम्मेदारी सिर्फ उपयोगकर्ता की होगी।