Vastu Tips of Navratri 2024
Vastu Tips of Navratri 2024www.raftaar.in

Vastu Tips: वास्तु शास्त्र के अनुसार नवरात्रि में करें ये सोलह श्रृंगार, घर-आंगन में बरसेगी माता रानी की कृपा

9 दिन के नवरात्रि में माता रानी की पूजा के साथ सोलह श्रृंगार करने का भी महत्त्व है। ऐसा करने से माता रानी की कृपा बनी रहती है और वह जल्दी प्रसन्न होती है।

नई दिल्ली रफ्तार डेस्क। 15April 2024। नवरात्रि में माता रानी की पूजा करने के साथ थी महिलाएं सोलह श्रृंगार करके उन्हें प्रसन्न करती हैं। क्योंकी सोलह श्रृंगार केवल सुंदर ही नहीं बनाता बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है। इसके साथ ही घर में सुख और समृद्धि भी आती है। वास्तु शास्त्र में सोलह श्रृंगार का अलग-अलग मतलब भी बताया गया है तो आईए जानते हैं।

सोलह श्रृंगारका महत्व

बिंदी और गजरा

माथे पर लगा सिंदूर का टीका बिंदी शरीर में सकारात्मक संचार करता है। इसे लगाने से मानसिक शांति मिलती है।

हिंदु मान्यता के अनुसार मां दुर्गा को मोगरे का गजरा बेहद प्रिय है। मां को प्रसन्न करने के लिए इस नवरात्रि आप अपने बालों में मोगरे का गजरा लगा सकती हैं।

मेंहदी और सिंदूर

किसी भी त्योहार पर सुहागन महिलाओं को श्रृंगार में मेहंदी के बिना अधूरा माना जाता है।वैसे ही माता रानी को सोलह श्रंगार में मेहंदी जरुर चढ़ाएं। मेहंदी ठंडक प्रदान करता है। इससे त्वचा संबंधी रोग समाप्त होते हैं।

मांग का सिंदूर सुहागन की निशानी माना जाता है। सिंदूर चेहरे की खूबसूरती निखरता है। इसका वैज्ञानिक आधार है कि मांग का सिंदूर शरीर में विद्युत ऊर्जा को नियंत्रित करता है।

मंगलसूत्र और कान के कुंडल

काले मोती का मंगलसूत्र पहनने से ग्रहों की नकारात्मकता रोकने में सहायता मिलती है।गले में मंगलसूत्र पहनने से हृदय संबंधी बीमारी खत्म होती है।

कान में पहने जाने वाले आभूषणों से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है इतना ही नहीं कान छेदन से आंखों की रोशनी में तीव्र होती है। और सिर दर्द की समस्या से निजात मिलती है।

माथे का टीका और कंगन

माथे पर टीका सुंदरता को बढ़ाने के साथ -साथ ही इसका वैज्ञानिक आधार भी है। इससे सिर दर्द की समस्या नहीं रहती।

हाथों में कंगन, चूड़ियां पहनने से शरीर रक्त की चाल सही रहती है। अगर रक्त संचार सही होता है तो शरीर में थकान नहीं होती है l साथ ही हारमोंस को भी बैलेंस रखता है।

लाल जोड़ा और बाजूबंद

लाल जोड़ा भी श्रृंगार का अहम हिस्सा है। शादी के दिन हर दुल्हन आपको इसी रंग में रंगी हुई नजर आ जाएगी। इसे पहन के पूजा करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं।

बाजूबंद पहनने से भुजाओं में रक्त प्रवाह ठीक बना रहता है। साथ ही धार्मिक मान्यता के अनुसार इसका संबंध धन रक्षा से माना गया है।

कमर बंद और पायल

महिलाओं इस आभूषण को अपनी कमर में पहनती हैं। जिसमें नववधू चाबियों का गुच्छा अपनी कमर में लटकाकर रखती हैं। कमरबंद प्रतीक होता है कि सुहागन अब अपने घर की स्वामिनी है।

पैरो चांदी की पायल शुभता और संपन्नता का प्रतीक होती है. बहू को घर की लक्ष्मी माना जाता है, इसलिए घर की संपन्नता बनाए रखने के लिए दुल्हन के श्रंगार में पायल आवश्यक मानी गई हैं।

बिछिया और नथ

मांग के सिंदूर की तरह ही बिछिया भी सुहाग की प्रमुख निशानियां मानी जाती है। यह केवल पैरों के सुंदरता नहीं बढ़ाता बल्कि नर्वस सिस्टम तथा मांसपेशियों को मजबूत रखता है।

सुहागन स्त्री के लिए नथ एक आवश्यक आभूषण माना गया है. नथ पहनने से घर में खुशहाली आती है।

अंगूठी और काजल

अंगूठी पहनना शरीर में रक्त के संचार को नियंत्रित रखता है। यह हाथों की सुंदरता को बढ़ाता है। अंगूठी पहनने से शरीर में आलस कम होता है।

आखों में काजल लगाने से सुहागि स्त्री की सुंदरता में चार चांद लग जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार काजल बुरी नजर से रक्षा करता है।

अन्य ख़बरों के लिए क्लिक करें - www.raftaar.in

डिसक्लेमर

इस लेख में प्रस्तुत किया गया अंश किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की पूरी सटीकता या विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता। यह जानकारियां विभिन्न स्रोतों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/प्रामाणिकताओं/धार्मिक प्रतिष्ठानों/धर्मग्रंथों से संग्रहित की गई हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य सिर्फ सूचना प्रस्तुत करना है, और उपयोगकर्ता को इसे सूचना के रूप में ही समझना चाहिए। इसके अतिरिक्त, इसका कोई भी उपयोग करने की जिम्मेदारी सिर्फ उपयोगकर्ता की होगी।

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in