
नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: मां दुर्गा की आराधना के लिए नवरात्रि का समय विशेष महत्व रखता है। शारदीय नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना की जाती है। बीते 15 अक्टूबर को नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो चुका है। ऐसे में भक्त हर्षोउल्लास से नवरात्रि का पर्व मना रहे हैं। मां दुर्गा भी अपने भक्तों पर नवरात्रि के 9 दिनों के लिए अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं। अगर आप भी माता के भक्ति में लीन होना चाहते हैं। तो देश के इन पांच प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन जरूर करें । जहां मां दुर्गा प्रसन्न होकर आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगी। तो चलिए जानते हैं देश के कौन से प्रसिद्ध पांच दुर्गा मंदिर है जहां दर्शन करने जाना चाहिए।
नैनीताल में नैनी झील के उत्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर स्थित है। वर्ष 1880 में भूस्खलन से यह मंदिर नष्ट हो गया था। जिसके बाद में इसे दोबारा बनाया गया है। यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है। मंदिर में दो नेत्र हैं। जो नैना देवी को दर्शाते हैं।
हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच बसा हुआ ज्वाला देवी मंदिर, मां ज्वाला देवी के तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। मां ज्वाला देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माना गया है। शक्तिपीठ उस स्थान को कहते हैं। जहां-जहां भगवान विष्णु के चक्र से कटकर माता सती के अंग गिरे थे। शास्त्रों के अनुसार ज्वाला देवी में सती की जीभ यहां गिरी थी।
शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में मां वैष्णो देवी के दरबार में हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। जम्मू कश्मीर के कटरा जिले में स्थित वैष्णो देवी मंदिर देश के 108 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मां वैष्णो देवी को दुर्गा माता का स्वरूप माना जाता है। मां वैष्णो देवी के पवित्र गुफा के अंदर चट्टानों के रूप में निवास करती हैं। साल में दो बार आने वाली नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों का मजमा लगा रहता है। अगर आप नवरात्रि पर पर माता के दर्शन करना चाहते है। तो आप वैष्णो देवी मंदिर जा सकते हैं।
हमारे देश में अनेक प्रसिद्ध मंदिर है। जहां बार-बार जाने का मन करता है। एक ऐसा ही मंदिर राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गांव देशनोक की सीमा में स्थित है। यह है मां करणी देवी का विख्यात मंदिर , जो काफी प्रसिद्ध है अभी ये मंदिर एक तीर्थ धाम है । लेकिन इस चूहे वाले मंदिर की अपनी एक मान्यता है। माता करणी देवी का ये मंदिर नवरात्रि पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
असम के पश्चिम में 8 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर कामाख्या शक्तिपीठ मंदिर स्थित है। माता के सभी शक्तिपीठों में से कामाख्या शक्तिपीठ को सर्वोत्तम कहा जाता है । ऐसा कहा जाता है कि यहां पर माता सती का गुहा मतलब यानी भाग गिरा था उसी से कामाख्या शक्तिपीठ की उत्पत्ति हुई थी ऐसा कहा जाता है कि यहां देवी का योनी भाग होने की वजह से यहां माता रजस्वला होती हैं।