Raftaar Desk - J1
15 फरवरी 1994 को महंत अवेद्यनाथ ने अजय सिंह बिष्ट को गोरखपंथ की दीक्षा दी। इस दौरान अजय योगी आदित्यनाथ बन गए। इसके चार साल बाद ही 1998 में अवेद्यनाथ ने योगी को गोरखनाथ मठ के साथ-साथ अपनी राजनैतिक विरासत का भी उत्तराधिकारी बना दिया।
साल 1998 में योगी आदित्यनाथ ने सिर्फ 26 साल की उम्र में पहली बार गोरखपुर से संसदीय चुनाव लड़ा। वह 26 हजार वोटों से चुनाव जीते। पहली बार जीत के बाद संसद में उन्होंने संस्कृत में सांसद के तौर पर शपथ ली। इसके अगले ही साल फिर चुनाव हुए तो योगी ने फिर जीत दर्ज की। जीत का यह सिलसिला उनके यूपी का मुख्यमंत्री बनने तक अनवरत जारी रहा।
साल 1998 के चुनाव में योगी आदित्यनाथ के पक्ष में प्रचार करने के लिए फिल्म अभिनेता विनोद खन्ना भी आए थे।
साल 2017 में पहली बार सीएम बनने के बाद तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने योगी आदित्यनाथ को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी।
दूसरे कार्यकाल में माफिया और अपराधियों के खिलाफ एक्शन को लेकर योगी सरकार ने काफी उग्र रवैया अपनाया था। अपराधियों की आर्थिकी पर चोट करने के लिए योगी सरकार ने उनकी संपत्तियों पर बुलडोजर चलाना शुरू किया।
कानून व्यवस्था, विकास और हिंदुत्ववादी मुद्दों को लेकर एक बार फिर योगी सरकार 2022 के चुनाव मैदान में उतरी। इस बार भी पार्टी को योगी के नेतृत्व में जीत हासिल हुई। योगी ने गोरखपुर विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा और जीत दर्ज की। योगी दोबारा सीएम बने।