Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन पर्व पर फेमस है ये पौरीणिक कथाऐं

Raftaar Desk RPI

कृष्‍ण और द्रौपदी का रक्षाबंधन

महाभारत में शिशुपाल का वध करने के बाद जब सुदर्शन चक्र कृष्‍ण की अंगुली पर बैठने के लिए वापस लौटा तो उससे कृष्‍ण की कलाई पर भी हल्‍की चोट लग गई जिससे खून बहने लगा. यह देश द्रौपदी ने फौरन अपनी साड़ी का पल्‍लू फाड़कर कृष्‍ण की कलाई पर बांध दिया. कृष्‍ण ने उन्‍हें धन्‍यवाद किया और वचन दिया कि वे सदैव उनकी रक्षा करेंगे

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राजा बलि और मां लक्ष्‍मी का रक्षाबंधन

राजा बलि बड़े दानी राजा थे और भगवान विष्‍णु के भक्‍त थे. एक बार वे भगवान को प्रसन्‍न करने के लिए यक्ष कर रहे थे. अपने भक्‍त की परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्‍णु ने एक ब्राह्मण का वेष धरा और यज्ञ पर पहुंचकर राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी. राजा ने ब्राह्मण की मांग स्‍वीकार कर ली ह्मण ने पहले पग में पूरी भूमि और दूसरे पग ने पूरा आकाश नाप दिया

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उधर मां लक्ष्‍मी भगवान विष्‍णु के वापिस न लौटने से चिंतित हो उठीं. उन्‍होंने एक गरीब महिला का वेष बनाया और राजा बलि के पास पहुंचकर उन्‍हें राखी बांध राखी के बदले राजा ने कुछ भी मांग लेने को कहा. मां लक्ष्‍मी फौरन अपने असली रूप में आ गईं और राजा से अपने पति भगवान विष्‍णु को वापिस लौटाने की मांग रख दी

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देवराज इंद्र और इंद्राणी की राखी

माना जाता है कि एक बार दैत्‍य वृत्रासुर ने इंद्र का सिंहासन हासिल करने के लिए स्‍वर्ग पर चढ़ाई कर दी. वृत्रासुर बहुत  ताकतवर था और उसे हराना आसान नहीं था,युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए उनकी बहन इंद्राणी ने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र तैयार किया और इंद्र की कलाई पर बांध दिया. इस रक्षासूत्र ने इंद्र की रक्षा की और वह युद्ध में विजयी हुए

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युधिष्ठिर ने अपने सैनिकों को बांधी राखी

महाभारत के युद्ध के दौरान युधिष्ठिर ने श्रीकृष्‍ण से पूछा कि मैं सभी संकटों से कैसे पार पा सकूंगा. इसके लिए कोई उपाय बताएं श्रीकृष्‍ण ने युधिष्ठिर से कहा कि वह अपने सभी सैनिकों को रक्षा सूत्र बांधें. युधिष्ठिर ने ऐसा ही किया और अपनी पूरी सेना में सभी को रक्षासूत्र बांधा था

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रानी कर्णावती और हुमायूं की कहानी

देश में एक समय राजपूत मुस्लिम आक्रमण के खिलाफ लड़ रहे थे. अपने पति राणा सांगा की मृत्यु के बाद मेवाड़ की कमान रानी कर्णावती के हाथों में थीं. उस समय गुजरात के बहादुर शाह ने मेवाड़ पर दूसरी बार आक्रमण किया था. कर्णावती ने तब हुमायूं से मदद मांगने लिए उसे राखी भेजी

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हुमायूं उस समय एक युद्ध के बीच में था, मगर रानी के इस कदम ने उसे भीतर से छू लिया. हुमायूं ने अपनी फौज फौरन मेवाड़ के लिए भेज दी. दुर्भाग्‍यवश, उसके सैनिक समय पर नहीं पहुंच पाए और चित्‍तौड़ में राजपूत सेना की हार हुई. रानी ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए जौहर (खुद को आग लगा ली) कर लिया, लेकिन हुमायूं की सेना ने चित्‍तौड़ से शाह को खदेड़ कर रानी के पुत्र विक्रमजीत को गद्दी सौंप दी और अपनी राखी का मान रखा

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