Agra Taj Mahal: वाह ताज ऐसे ही नहीं कहा जाता, जानिए आखिर कहां से आए थे ताजमहल बनाने वाले मजदूर

Raftaar Desk - P1

शाहजहां ने मुमताज की याद में बनवाया था। दुनिया के सात अजूबों में शामिल इस मकबरे को बनाने के लिए करीबन 20 हजार मजदूरों का इस्तेमाल किया गया था।

Agra Taj Mahal | Social Media

यूपी के आगरा में स्थित Taj Mahal भारत की सबसे खूबसूरत इमारतों में आता है, जिसे बनाने के लिए लाल पत्थर और सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया था। Taj Mahal 7 अजूबों में से एक है।

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इसे देखने वाले ना केवल देश से आते हैं बल्कि विदेश से भी आते हैं। यहां आने वाला हर पर्यटक की इस सफेद सफेद इमारत को देख आंखें फटी की फटी रह जाती हैं। ताजमहल दुनिया के सबसे चर्चित स्थलों में से एक है।

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5वें मुगल सम्राज्य के शासक ने इस इमारत का निर्माण करवाया था, जिन्होंने 1526 से साल 1761 तक देश में राज किया था। इसी बीच उन्होंने ताजमहल का निर्माण शुरू करवाया, जो वर्ष 1653 में बनकर तैयार हुआ था।

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ताजमहल के निर्माण में 20 हजार से भी अधिक मजदूरों की मदद ली गई थी, इमारत को बनाने में करीबन 3.2 करोड़ रुपए का खर्च आया था। बेशकीमती पत्थरों को अफगानिस्तान, मिस्र, रूस, तिब्बत, ईरान जैसे देशों से लाया गया था।

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एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर मजदूर कन्नौज के हिंदू थे। वहीं इनमें राजमिस्त्री, पत्थर काटने वाले, बढ़ई, चित्रकार और अन्य कारीगरों को मुगल सम्राज्य, मध्य एशिया और ईरान से बुलाया था।

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वहीं फूलों की नक्काशी के लिए मजदूरों को पोखरा से बुलाया था, यही नहीं इमारत के मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी थे।

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बगीचे बनाने वाले के लिए कश्मीर के राम लाल को बगीचे बनाने की जिम्मेदारी दी थी।

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