Raftaar Desk RPI
माता से बढ़कर कोई भगवान नहीं होता, गणेश जी तो माता के परम भक्त थे। अपनी मातृभक्ति के कारण वह अपने पिता भोले नाथ से भी लड़ गए थे।
एक बार माता पार्वती स्नान करने स्नान गृह में गयी थीं, उन्होंने गणेश जी से कहा किसी को भी अंदर न आने देना, भोले नाथ अंदर आने के लिए बार-बार आग्रह करने लगे।
गणेश जी ने बिल्कुल मना कर दिया, ऐसे में शिवजी को क्रोध आ गया, और उन्होंने गणेश जी का सर काट दिया।
उसके बात माता पार्वती के क्रोध और विलाप करने पर शिवजी ने हाथी का सर जोड़कर फिर गणेश जी को जीवित कर दिय।
तब से गणेश जी शिवजी-पार्वती के पुत्र कहलाने लगे।
किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले श्री गणेश की पूजा की जाती हैं।
हाथी का सिर लगने की वजह से भगवान गणेश जी को गजानन भी कहा जाने लगा।
माता तुलसी जी ने गणेश जी को श्राप दिया कि तुम्हारे दो विवाह होंगे, फिर गणेश जी का विवाह रिद्धि और सिद्धि के साथ हुआ।