Raftaar Desk RPI
दीपावली से ठीक एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाता है। इसे नरक चौदस, रूप चौदस या रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस साल नरक चतुर्दशी 11 नवबंर को पड़ रहा है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है।
इस दिन यमराज के साथ-साथ भगवान कृष्ण की उपासना भी की जाती है, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था।
कथा के अनुसार
नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था. इसलिए ऐसी मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी जिसे गोपाष्टमी भी कहा जाता है, इस दिन एक लोटे में पानी भर कर रखा जाता है. नरक चतुर्दशी के दिन इस लोटे के जल से नहाने से नरक भय से मुक्ति मिलती है।
स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करने से मनुष्य के द्वारा साल भर में किए गए सभी पापों का नाश हो जाता है
नरक चतुर्दशी के दिन प्रात:काल या सायं काल चंद्रमा की रोशनी में जल से स्नान करना चाहिए। इस दिन विशेष उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए।
नरक चतुर्दशी के दिन स्नान करने के बाद दीपदान भी करना चाहिए। आपको बता दे कि स्नान करने के बाद भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
नरक चतुर्दशी के दिन कुलदेवी, कुलदेवता और पितरों के नाम से भी दिया जलाया जाता है।