Raftaar Desk RPI
दुनिया के तमाम नेता भारत आ रहे हैं। इसी बीच देश के नाम को बदलने की बात सामने आई है
देश का नाम इंडिया की जगह भारत करने का विवाद गहरा गया है। पक्ष-विपक्ष दोनों ओर से बयानबाजी शुरू हो गई है
ऐसे में पहला सवाल है कि आखिर क्यों इंडिया से भारत नाम आधिकारिक तौर पर करने की नौबत आई। इसके ज्यादातर लोग राजनीतिक कारण समझ एवं निकाल रहे हैं
दरअसल, लोकसभा चुनाव में एनडीए को हराने के लिए विपक्षी दलों ने आपसी गठबंधन का नाम इंडिया रखा है। तब से देश के नाम को लेकर विवाद खड़ा हुआ है। हालांकि कांग्रेस सरकार में 2010 और 2012 में भी देश का नाम सिर्फ भारत करने को दो बिल पेश हुए थे
जब 1947 में देश को आजादी मिली थी, तब भी संविधान सभा में देश के नाम को लेकर जमकर बहस हुई थी। संविधान सभा ने संविधान में अनुच्छेद-1 में 'इंडिया दैट इज भारत' लिखा था
इस पर कुछ सदस्यों का कहना था कि देश का नाम भारत ही होना चाहिए। संविधान सभा के सदस्य एचवी कामथ ने बहस की शुरुआत की थी। सेठ गोविंद दास ने महात्मा गांधी का जिक्र कर कहा था कि उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई 'भारत माता की जय' के नारे के साथ लड़ी थी, इसलिए देश का नाम भारत ही होना चाहिए
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में लिखा है- 'इंडिया दैट इज भारत'। इसका अर्थ है कि देश के दो नाम हैं। हम 'गवर्नमेंट ऑफ इंडिया' और 'भारत सरकार' भी कहते हैं
इंडिया नाम हटने का प्रावधान
संविधान का अनुच्छेद-1 के मुताबिक 'इंडिया, दैट इज भारत, जो राज्यों का संघ होगा।' अनुच्छेद-1 'इंडिया' और 'भारत', दोनों को मान्यता देता है। अगर, सरकार देश का नाम सिर्फ 'भारत' करना चाहती है तो अनुच्छेद-1 में संशोधन के लिए बिल लाना होगा। अनुच्छेद-368 संविधान को संशोधन की मंजूरी देता है।
कुछ संशोधन 50% बहुमत के आधार पर हो सकते हैं। कुछ संशोधन के लिए 66% बहुमत की जरूरत पड़ेगी। लोकसभा में 539 सांसद हैं। बिल पास करने के लिए 356 सांसदों की सहमति चाहिए। राज्यसभा में 238 सांसद हैं। यहां से बिल पास कराने के लिए 157 सांसदों का समर्थन चाहिए