5 दिनों तक हिमाचल के इस गांव में क्यों नहीं कपड़े पहनती महिलाएं

Raftaar Desk SP1

दुनियाभर में महिलाओं के लिए अजीबोगरीब प्रथाएं रही हैं। कहीं महिलाओं के लिए शादी से पहले शर्मनाक वर्जिनिटी टेस्ट कराना पड़ता था तो कहीं शादी से 1 साल पहले उठे होने वाले पति के साथ रहना पड़ता था।  भारत के हिमाचल में महिलाओं को एक ऐसी ही अजीब प्रथा आज भी निभानी पड़ती है। 

शर्मनाक वर्जिनिटी टेस्ट | google

देश और दुनिया में कई ऐसी परंपराएं हैं।  जिन पर अक्सर चर्चा और विवाद होता रहता है। कुछ परंपराएं इतनी अजीब है कि ज्यादातर लोग उनकी आलोचना ही करते हैं।  ऐसी ही परंपराओं के तहत शादी ब्याह से पहले लड़के या लड़की का पेड़ के साथ विवाह  किया जाता है तो कहीं भाई के साथ, कहीं मामा के साथ शादी करने की अजीब प्रथा है।

पेड़ के साथ विवाह | google

भारत के एक गांव में भी महिलाओं और पुरुषों के लिए अजीब परंपरा है।  हिमाचल की मणिकर्ण घाटी के पीणी गांव में सदियों से चली आ रही एक परंपरा का पालन करते हुए आज भी सावन मास में 5 दिन महिलाएं कपड़े नहीं पहनती। 

खास परंपराओं | google

इस गांव के पुरुष को भी सख्त नियमों  का पालन करना अनिवार्य है।  परंपरा के तहत महिलाएं के लिए 5 साल में 5 दिन ऐसे आते हैं।  जब वह एक भी कपड़े नहीं पहन सकती।  वहीं पुरुष इन पांच दिनों में शराब को मास्क सेवन नहीं कर सकते। 

पुरुष को भी सख्त नियमों | google

हिमाचल के पिणी गांव में महिलाओं के कपड़े नहीं पहनने की परंपरा का इतिहास काफी रोचक है।पीणी गांव की महिलाएं हर साल सावन के महीने में 5 दिन कपड़े नहीं पहनती, हालांकि अब इन खास पांच दिनों में ज्यादातर महिलाएं घर से बाहर ही नहीं निकलती।

पिणी गांव | google

ऐसा  कहा जाता है कि इस परंपरा का पालन नहीं करने वाली महिलाओं को कुछ दिन में कोई बुरी खबर सुनने को मिलती है। इस  दौरान पूरे गांव में पति-पत्नी आपस में बातचीत तक नहीं करते । पांचो दिन पति-पत्नी एक दूसरे से पूरी तरह से दूर रहते हैं।

परंपरा का पालन | google

पुरुषों के लिए भी इस परंपरा में महिलाओं के साथ देना बेहद जरूरी माना जाता है।  हालांकि उनके लिए कुछ नियम अलग बनाए गए हैं। पुरुषों को सावन के इन्हीं 5 दिनों में शराब , मदिरा , मांस आदि का सेवन करना वर्जित माना गया है।  

शराब , मदिरा | google

कहा जाता है कि अगर किसी भी पुरुष ने ये परंपरा नहीं निभाई तो देवता नाराज हो जाते हैं।  बल्कि उसका सब कुछ नुकसान कर देते हैं।  इन दोनों परंपराओं को निभाने के पीछे एक रोचक कहानी भी है। 

देवता नाराज | google

पीणी गांव के लोग बताते हैं कि बहुत समय पहले यहां  राक्षसों का आतंक था।  इसके बाद लहुआ घोंड नाम के एक देवता पीढ़ी गांव में आए। देवता ने उस राक्षस का वध किया और पीढ़ी गांव को राक्षसों से मुक्त कर दिया।

राक्षसों का आतंक | google

देवताओं ने राक्षसों का वध करके महिलाओं को इससे बचाया था। इस बात से ही देवता और राक्षस के बीच चल आ रहे  युद्ध के समय के बीच  5 दिन महिलाएं कपड़े नहीं पहनने की परंपरा चली आ रही है ।

राक्षसों का वध | google

ऐसी मान्यता है कि पति और पत्नी सावन के इन पांच दिन  एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा नही सकते है। दोनो पर पाबंदी लगी रहती है। 

मुस्कुरा नही सकते है | google

पीणी गांव की महिलाएं इस दौरान सिर्फ शरीर पर एक ही कपड़ा पहन सकती है। इसके लिए वो एक ऊन का गोला इस्तेमाल करती है।

एक ही कपड़ा पहन सकती | google