Bhagavad Gita: भगवत गीता के ये श्लोक,बदल देंगे जीने का नजरिया, मिलेगी अद्भुत ऊर्जा

Raftaar Desk - J1

गीता हिंदू धर्म का बहुत ही पवित्र धर्मग्रंथ है। महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया जिसके बाद अर्जुन ने अपने अधिकार के लिए महाभारत का युद्ध लड़ा

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 महाभारत की रणभूमि में अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिया गया ज्ञान सर्वश्रेष्ठ ज्ञान माना गया है। श्रीमद्भागवत गीता, श्रीकृष्ण द्वारा बताई गई बहुमूल्य बातों का एक संग्रह है

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त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।

कामः क्रोधस्तथा लोभस्तरमादेतत्त्रयं त्यजेत्।।

काम, क्रोध व लोभ। यह तीनों ही भाव व्यक्ति के लिए नरक के द्वार खोल देते हैं। इसलिए इन तीनों को त्याग देना चाहिए। इस श्लोक के द्वारा भगवान कहना चाहते हैं कि अगर हम किसी लक्ष्य को पाना चाहते हैं तो ये 3 अवगुण हमें हमेशा के लिए छोड़ देने चाहिए

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तानि सर्वाणि संयम्य युक्त आसीत मत्परः

वशे हि यस्येन्द्रियाणि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।

श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि मनुष्यों को संपूर्ण इंद्रियों को वश करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि जिस मनुष्य की इंद्रियां वश में होती हैं, उसकी ही बुद्धि स्थिर होती है

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नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना।

न चाभावयत: शांतिरशांतस्य कुत: सुखम्।।

जिस मनुष्य का मन धन, वासना, आलस्य आदि में लिप्त है, उसके मन में आत्मज्ञान नहीं होता। और जिस मनुष्य के मन में आत्मज्ञान नहीं होता, उसे किसी भी प्रकार से शांति नहीं मिलती और जिसके मन में शांति न हो, उसे सुख कहां से प्राप्त होगा

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श्रीमद्भागवत गीता, श्रीकृष्ण द्वारा बताई गई बहुमूल्य बातों का एक संग्रह है। भारतीय परम्परा में गीता वही स्थान रखती है जो उपनिषद और धर्मसूत्रों का है

भगवान श्री कृष्ण ने गीता में जितनी भी बातें बताई हैं, वो सभी मनुष्य के जीवन के सहीं ढंग से जीने के लिए बेहद ही आवश्यक है

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