Raftaar Desk AH1
करवाचौथ के व्रत में पूजन के दौरान महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। सुहागन में श्रृंगार में सबसे महत्वपूर्ण सिंदूर होता है।
हिंदू धर्म में गाय माता का विशेष स्थान और महत्व होता है। अगर आप करवाचौथ को गाय माता को बेसन के लड्डू पेड़े या फल इत्यादि खिलाते हैं। तो आपके रिश्ते में आने वाली समस्या दूर होगी। आपके रिश्ते में मधुरता आएगी।
सुहागिन महिलाएं करवाचौथ में व्रत के दौरान शाम को पूजा करते समय लाल रंग का कपड़ा पहनना चाहिए। इसमें लहंगा, साड़ी आदि पहन सकती हैं।
करवाचौथ के दिन जितना महत्व व्रत और पूजा करने का होता है। उतना ही महत्व करवाचौथ की कथा का भी होता है। इसलिए इस कथा को बड़े ही ध्यानपूर्वक से सुनना चाहिए।
कभी-कभी हम देखते हैं कि कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं। जो एकाग्रता से कथा नहीं सुनती , उनका मन और कहीं लगा होता है।
करवाचौथ के दिन पूजा करने के लिए हमारे आसपास की महिलाएं एक जगह इकट्ठा होकर व्रत रखती हैं। साथ ही व्रत की कथा भी सुनती हैं, लेकिन इस दौरान जब तक चांद नहीं निकलता तो वो इंतजार करती है या फिर बातें करती है।
कहते हैं सभी त्योहारों में सबसे बड़ा त्यौहार सुहागिन महिलाओं के लिए करवाचौथ ही होता है। करवाचौथ का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करता है।
इस दिन सुहागिन महिला निर्जला व्रत कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है।
इस दिन भगवान शिव, गणेश और कार्तिकेय एवं माता करवा की पूजा की जाती है इसके साथ ही इस दिन महीने का चंद्रमा को अर्घ्य देकर जल ग्रहण करती है।
सुहागिन महिलाओं के लिए करवाचौथ का पर्व काफी महत्व रखता है। अगर महिलाएं इस दिन यह काम करती हैं तो उन्हें शुभ फल प्राप्त होता है।