Raftaar Desk - P1
अमरनाथ धाम की यात्रा दो मार्गों से तय की जाती है, एक बालटाल और दूसरा पहलगाम। मान्यता है कि भगवान शिव ने गुफा तक पहुंचने के लिए पहलगाम का मार्ग चुना था।
भगवान शिव माता पार्वती को एकान्त गुफा की ओर ले जा रहे थे, तो सबसे पहले उन्होंने नंदी को त्यागा था। आज ये स्थान पहलगाम कहलाता है। अमरनाथ की यात्रा पहलगाम से शुरू है।
पहलगाम से कुछ किलोमीटर आगे बढ़ने के बाद आपको दूसरा पड़ाव मिलता है, जिसे चंदन वाड़ी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि ये वो स्थान है जहां भगवान शिव ने चंद्रमा को खुद के मस्तिष्क से अलग किया था।
इस स्थान का कण कण पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि अपने शरीर का भभूत और चंदन भी शिव जी ने इसी स्थान पर उतार दिया था। यहां की मिट्टी को लोग अपने मस्तक पर लगाते हैं।
जब आप कुछ और दूर चलते हैं तो अगला पड़ाव शेषनाग झील है। यहां महादेव ने अपने प्रिय सर्प वासुकि को गले से उतार दिया था। यहां एक झील है। माना जाता है कि उसमें शेष नाग का वास है।
इस झील को देखकर ऐसा लगता है कि मानो शेष नाग स्वयं फन फैलाकर यहां विराजमान हों, इस लिए इस स्थान को शेषनाग झील के नाम से जाना जाता है।
आगे बढ़ने के बाद चौथा पड़ाव महागुणस पर्वत है। इसे गणेश टॉप और महागणेश पर्वत के नाम से भी जाना जाता है।
कहा जाता है कि इस स्थान पर प्रभु ने अपने प्रिय पुत्र गणेश को रुककर इंतजार करने को कहा था। इस स्थान पर बेहद खूबसूरत झरने और मनोरम दृश्य हैं।
इन सभी पड़ावों को पार करने के बाद आखिर में वो गुफा आती है, जहां शिव जी ने माता पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी। इस गुफा में हर साल 10 से 12 फीट ऊंची शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनती है।
इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए हर साल दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से व्यक्ति के जीवन के अनेकों पाप दूर हो जाते हैं। उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।