अमर शहीद: झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बारे मैं कुछ रोचक तथ्य - आजादी का अमृत महोत्सव

Raftaar Desk - T2

लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी में हुआ था. उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था और उन्हें प्यार से मनु कहा जाता था.

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मनु ने बचपन में शास्त्रों और शस्त्रों की शिक्षा प्राप्त की. सन् 1842 में, उन्होंने मराठा शासित झाँसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर से शादी की और झाँसी की रानी बनीं

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विवाह के बाद, उन्हें लक्ष्मीबाई नाम दिया गया. सितंबर 1851 में, रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया. लेकिन चार महीने की उम्र में ही उसकी मृत्यु हो गई.

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राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य 1853 में बहुत खराब हो गया. उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गई थी, ताकि उनकी रियासत में उत्तराधिकारी हो सके. उन्होंने अपने चचेरे भाई के बेटे को गोद लिया, और उसका नाम दामोदर राव रखा. राजा गंगाधर राव की मृत्यु 21 नवंबर 1853 को हो गई. दामोदर राव उनके उत्तराधिकारी बने

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झाँसी 1857 के संग्राम का एक प्रमुख केन्द्र बन गया, संग्राम में रानी का साथ झलकारी बाई, तात्या टोपे, बाजीराव प्रथम और अली बहादुर द्वितीय ब्रितानी सेना से मुकाबला किया

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18 जून 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में ब्रितानी सेना से लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई

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झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई के लिए प्रसिद्ध है "की खूब लड़ी मर्दानी वोह तो झाँसी वाली रानी थी"

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