Bodhi Tree: 2500 साल पुराने पेड़ की कहानी जहां भगवान बुद्ध को मिला 'दिव्य ज्ञान

Raftaar Desk - P1

 भगवान बुद्ध को ईसा पूर्व 531 में बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित एक पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था, जिसे बोधि वृक्ष (Bodhi Tree) कहा जाता है। इस पेड़ को 2500 साल से भी अधिक पुराना बताया जाता है, जिसकी कहानी बड़ी ही अनोखी और रोचक है।

दूसरी पीढ़ी का यह वृक्ष करीब 800 साल तक रहा था। इसके बाद सातवीं शताब्दी में बंगाल के राजा शशांक ने भी बोधि वृक्ष को नष्ट करने का प्रयास किया। उसने पेड़ को कटवाने के साथ ही उसकी जड़ों को जला भी दिया, लेकिन फिर भी पेड़ नष्ट नहीं हुआ और कुछ सालों में ही उसकी जड़ों से एक नया पेड़ निकल गया।

फिर वर्ष 1876 में एक प्राकृतिक आपदा में इस पेड़ को भारी नुकसान पहुंचा और यह नष्ट हो गया, जिसके बाद लॉर्ड कनिंघम नाम के एक अंग्रेज ने श्रीलंका के अनुराधापुरा से बोधिवृक्ष की शाखा मंगवाकर उसे बोधगया में स्थापित करवाया।

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर बोधि वृक्ष श्रीलंका कैसे पहुंच गया, तो हम आपको बता दें कि ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक के बेटे और बेटी बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए श्रीलंका गए थे।

उन्होंने ही अनुराधापुरा में उस वृक्ष को लगाया था, जो आज भी वहां मौजूद है। आपको बता दें कि अनुराधापुरा दुनिया की सबसे प्राचीन नगरियों में से एक है। इसके अलावा यह श्रीलंका की आठ विश्व विरासत स्थलों में से भी एक है। 

बोधि वृक्ष की एक शाखा मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और विदिशा के बीच सलामतपुर की पहाड़ी पर भी मौजूद है। दरअसल, साल 2012 में जब श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने भारत का दौरा किया था, उसी दौरान उन्होंने यह पेड़ लगाया था।https://raftaar.in/ampstories/webstory/tejasswi-prakash-took-high-fees-for-nagin-6-show