Raftaar Desk RPI
बृहदेश्वर मंदिर, तंजौर, तमिलनाडु
1002 ईस्वी में,राजा चोल ने इस मंदिर को बनाया था। यह मंदिर शिव को समर्पित है और द्रविड़ियन कला का अच्छा उदाहरण है। जिसमें चित्रकला, वास्तुकला और अन्य संबंधित कलाएं शामिल हैं। यह एक बड़ा सभा मंडप,एक स्तंभित पोर्टिको और एक नंदी मंडप से बना है। इसकी ऊंचाई 66 मीटर है।
कैलाशनाथ मंदिर, एलोरा
इस मंदिर को दुष्टों का नाश करने वाले शिव भगवान को समर्पित किया गया है। ये मंदिर हमारी कला और संस्कृति की महान विरासत है।यह अपने आस-पास की संरचनाओं के साथ सही अनुपात और एक सीधी रेखा में बनायै गया था। उसकी सभी खंबे, फ्लाई ब्रिज, मेहराब, मूर्तियां और इमारतें पत्थर से बनाई गई हैं।
चेन्नाकेशव मंदिर, कर्नाटक
यगाची नदी के तट पर स्थित यह होयसल काल का सबसे अच्छा मंदिर है। विजयनगर के शासकों ने चोलों पर अपनी जीत को दिखाने के लिए यह बनाया था। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को एक साथ स्थापित किया गया है।
तुंगनाथ मंदिर,उत्तराखंड
समुद्र तल से 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर सभी पंच केदार मध्यमाश्वर, केदारनाथ, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर मंदिरों में से सबसे ऊंचा है। इस मंदिर का इतिहास रामायण से जुड़ा है, जहां भगवान राम ने रावण को मारने के बाद ब्रह्महत्या के अभिशाप से बचने के लिए तपस्या की थी।
आदि कुंभेश्वर, तमिलनाडु
भारत का कुंभकोणम मंदिरों का नगर है। विश्ब प्रसिद्ध आदि कुंभेश्वर मंदिर यहीं है। इस मंदिक का निर्माण विजयनगर काल में हुआ था। इस मंदिर के केंद्र में आदि कुंभेश्वर देवता का पवित्र स्थान है। कुम्भेश्वर लिंगम, या शिवलिंग, का अर्थ है कि भगवान शिव ने रेत में अमृत मिलाकर इसे बनाया था।
जगत पिता ब्रह्मा मंदिर,राजस्थान
माना जाता है कि यह मंदिर 2000 वर्ष पुराना है। मंदिर मुख्य रूप से संगमरमर और पत्थर के स्लैब से बना है। इसका शिखर लाल रंग का है और इसके शिखर पर एक पक्षी की आकृति भी मौजूद है। मंदिर में ब्रह्मा और उनकी दूसरी पत्नी गायत्री की मूर्तियां लगी हुई हैं।
वरदराजा पेरुमल मंदिर, तमिलनाडु
भगवान विष्णु के पवित्र शहर कांचीपुरम में वरदराजा पेरुमल मंदिर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि 12 कवि संतों या अलवारों ने विष्णु के 108 मंदिरों का भ्रमण किया था, जिनमें से एक पेरुमल मंदिर भी है।
कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा
पूर्वी गंग राजवंश के राजा नरसिम्ह देव प्रथम ने 1250 ईस्वी के आसपास इस मंदिर को बनबाया था। पत्थर के पहियों, स्तंभों और दीवारों से बना यह मंदिर एक विशाल रथ की तरह है। इसकी संरचना का एक बड़ा हिस्सा अब खंडहर के रूप में है। यूनेस्को ने इस मंदिर को विश्व धरोहर भी घोषित किया है।
दिलवाड़ा मंदिर,माउंट आबू ,राजस्थान
पांच मंदिरों का एक समूह है, जिसे देलवाड़ा मंदिर भी कहा जाता है। ये राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू नगर में स्थित हैं। इन मंदिरो को पंद्रहवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच बनाया गया था। जैन धर्म के तीर्थंकरो को यह भव्य मंदिर समर्पित है।
पंचरत्न मंदिर, बांकुरा, पश्चिम बंगाल
1643 में राजा रघुनाथ सिंह ने यह मंदिर बनाया था। एक छोटे से वर्गाकार चबूतरे पर यह मंदिर बना हुआ है। मंदिर के चारों ओर तीन मेहराबों वाले द्वारों के साथ एक बरामदा है। दीवारों पर भगवान कृष्ण की लीलाओं का बड़ा टेराकोटा का चित्रण है।
बादामी गुफा मंदिर, कर्नाटक
बादामी गुफा मंदिर का परिसर कर्नाटक के उत्तरी भाग में बगलकोट जिले के बादामी शहर में है। इन्हें भारतीय रॉक-कट वास्तुकला, खासकर बादामी चालुक्य वास्तुकला, का उदाहरण माना जाता है।
विट्ठल मंदिर, हम्पी, कर्नाटक
यह मंदिर हम्पी क्षेत्र में सबसे लोकप्रिय मंदिर हो। यहां मशहूर म्युज़िकल पिलर्स हैं, जिनकी शानदार ध्वनि है। इस ध्वनि का रहस्य के लिए अंग्रेजों ने दो खंभे कटवा दिए, लेकिन वहाँ केवल खोखले खंभे थे।
ओरहा मंदिर, मध्य प्रदेश
ओरहा मंदिर प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर के पास है। शहर में तीन मंदिर हैं: चतुर्भुज, लक्ष्मी और राम राजा। लोगों का आकर्षण चतुर्भुज मंदिर का शिखर है। कमल के प्रतीकों से इसका बाहरी भाग सजा हुआ है।राजा राम मंदिर, महल की तरह बनाया गया है।