New Parliament: देश के नए संसद में रखा जाएगा सेंगोल, चोल साम्राज्य से जुड़ा है इसका इतिहास

Raftaar Desk - P1

गृह मंत्री अमित शाह ने आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर बुधवार को नेशनल मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु विद्वान की ओर से 'सेंगोल' को प्रधानमंत्री मोदी के सामने पेश किया जाएगा।

पंडित नेहरू एकता के प्रतीक

अमित शाह ने कहा कि पंडित नेहरू ने इस रस्म को पूरा करने के लिए माताधिपति को दक्षिण से बुलाए थे, क्योंकि वे भारत की आध्यात्मिक एकता और एकीकरण चाहते थे। गृह मंत्री ने कहा कि सेंगोल शब्द तमिल शब्द सेम्माई से आया है। जिसका अर्थ नैतिकता होता है। अमित शाह ने कहा कि इस सेंगोल को विद्वानों ने आमंत्रित कर गंगाजल का आशीर्वाद दिया था। इस पर संत नंदी विराजमान हैं। यह सेंगोला परंपरा चोल साम्राज्य के समय से 8वीं शताब्दी से अस्तित्व में है।

Amit Shah

पंडित नेहरू ने मांगा समय

अमित शाह ने कहा कि 14 अगस्त के प्रसारण में राजेंद्र प्रसाद भी शामिल थे, जो देश के पहले राष्ट्रपति बने। अमित शाह ने कहा कि जब 1947 में भारत को स्वतंत्रता देने का निर्णय लिया गया, तो इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए लॉर्ड माउंटबेटन को भारत के गवर्नर जनरल के रूप में भेजा गया था। भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों से अनभिज्ञ माउंटबेटन ने नेहरू से पूछा कि सत्ता हस्तांतरण के लिए किस समारोह की व्यवस्था की जाए।

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पंडित नेहरू तमिलनाडु के विद्वानों से मिले

सी. राजगोपालाचारी ने इस प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए कई किताबें पढ़ीं। ऐतिहासिक परंपराओं का अध्ययन किया और उन्हें समझा। उन्होंने कई साम्राज्यों के इतिहास को पढ़ा और सेंगोल को आत्मसमर्पण करने की प्रक्रिया की सूचना दी। उन्होंने नेहरू को सूचित किया कि भारत में सेंगोल से सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया को मंजूरी मिल गई है। मिली जानकारी के अनुसार यह परंपरा चोल साम्राज्य से जुड़ी है।

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लोगों से अब तक था अनजान

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस घटना के ऐतिहासिक महत्व के बारे में जानने के बाद सभी को आश्चर्य होगा कि यह जानकारी अभी तक देश में क्यों नहीं पहुंची है। इसे देखते हुए इस गौरवपूर्ण घटना को देश से गुप्त रखने का निर्णय लिया गया।

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