नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। सिंगल पेरेंटिंग अपने आप में बड़ी चुनौती होती है। अकेले घर, बाहर और बच्चों की जिम्मेदारी निभा पाना किसी भी व्यक्ति के लिए बेहद चैलेंजिंग हो सकती है। काम काज के लिए आपको बाहर भी जाना रहता है। अगर आपका छोटा बच्चा है तो उसका दूध, रेगुलर रूटीन, हाईजीन और स्कूल समेत कई बातों का ध्यान रखना जरुरी है।
बच्चा क्या सीखता है। कैसे बात कर रहा है इन सब बातों का ध्यान रखना जरूरी है। अगर आप भी सिंगल मदर हैं या फिर बनने की प्लानिंग करती हैं तो आप आपको कुछ खास नियम बताने वाले हैं। जिन्हें फॉलो करके आप अपने बच्चे को अच्छी परवरिश दे पाएंगी।
सिंगर मदर होने की वजह से आपके पास दोहरी जिम्मेदारी हो जाती है। ऐसे में हमेशा पाॅजिटिव रहना ही बेहतर विकल्प रहता है। आपका ऑफिस में दिन चाहे कैसा भी गुजारते हो। लेकिन आपको हमेशा ही पाॅजिटिव रहने से लाभ मिलता है। क्योंकि जब आप शाम को बच्चे के पास आते हैं। आपको पूरा समय देना रहता है। सिंगल मदर होने को लेकर आपको हमेशा ये बात याद रखनी चाहिए कि आपके और बच्चे के बीच कोई तीसरा शख्स नहीं रहता है। इसलिए आप दोनों के लिए इतनी अच्छी बॉन्डिंग रहे कि आप सारी बात शेयर करें।
ये बात जरुरी है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अधिक भावुक रहती हैं। सिंगल मांओं के लिए ये भी काफी परेशानी होती है। बच्चे की जिद्द के कारण सिंगल मां उन्हें न कह देती हैं। इसका सबसे बड़ा साइड इफेक्ट रहता है कि बच्चों की जिद बढ़ने लगती है। बच्चे कई बार जिद पूरी करवाने के लिए रोने लगते हैं। मां उन्हें मनाने के लिए भी हां कह देती है। ऐसे हालात में ना चाहकर भी हुए सिंगल मदर को अपने बच्चे की जिद्द मानना पड़ जाता है। इसलिए बच्चे की गलत बातों को लेकर ध्यान देना होता है।
सिंगल मदर होने के नाते आपके पास माता-पिता की काफी जिम्मेदारी होती है। ऐसे में आपको उन्हें वक्त देना काफी अहम हो जाता है। अगर ऑफिस के काम में बहुत व्यस्त रहते हैं। इसके बावजूद बच्चा जरूरत पर बुला लेते हैं। तो उस वक्त मौजूद रहें। इससे आपके और बच्चे के बीच प्यार का एहसास बढ़ाने में मदद करता है ।इमोशनल फीलिंग्स में बच्चा न सिर्फ आपकी बातों को मानेगा बल्कि अनुशासन को भी बढ़ाने लगता है।, ताकि लोग उसकी मॉम की तारीफ करें।
किसी शख्स ने कहा कि जिसने कई डिग्रियां हासिल की। लेकिन टाइम मैनेजमेंट नहीं जानते है तो जीवन में कुछ नहीं जानते हैं। बच्चे का स्कूल, ट्यूशन, खाना-पीना और खेलने का वक्त तय करना जरुरी है। बच्चे को समझाएं कि वक्त के अनुसार चीजें करने से ही भविष्य हमेशा बेहतर रहता है।
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