धार्मिक पुस्तकें

वामन पुराण- Vaman Puran in Hindi

हिन्दू धर्म में वामन पुराण का अहम महत्त्व है। “वामन” विष्णु जी का एक अवतार माना जाता है। दो भागों में बंटे वामन पुराण में कई रोचक कथाएं और जीवन से संबंधित नियमों आदि का वर्णन किया गया है। वामन पुराण में कूर्म अवतार का वृतांत, गणेश व स्कन्द (कार्तिकेय) आख्यान, शिव-पार्वती विवाह आदि विषयों की विस्तारपूर्वक व्याख्या है। इसके अलावा वामन, नर नारायण, माँ दुर्गा के चरित्र के साथ भक्त प्रह्लाद तथा श्रीदामा व अन्य भक्तों का वर्णन मिलता है। भगवान शिव के चरित्र को समझने के लिए वामन पुराण एक अहम ग्रंथ माना जाता है।

वामन पुराण के भाग (Parts of Vaman Puran)

वामन पुराण में दस हजार हजार श्लोकों का संग्रह है। इसके अतिरिक्त यह दो भागों में बंटा है जो निम्न है:

· पूर्व भाग: वामन पुराण के पूर्व भाग में ब्रह्मा जी की कथा के साथ भगवान हरी की काल रूप संज्ञा, कामदेव दहन, प्रह्लाद एवं नर-नारायण का युद्ध, काम्यव्रत व अन्य कथाओं का वर्णन किया गया है।
· उत्तर खंड: उत्तर या अंतिम भाग में चार संहिताएँ हैं। यह अलग-अलग हजार श्लोकों वाली हैं। इन श्लोकों में दुर्गा जी के विभिन्न रूपों के साथ उमा- माहेश्वरी, भगवती गौरी और गणेश्वरी आदि का वर्णन है।

वामन पुराण का फल (Benefits of Vaman Puran)

मान्यता है कि वामन पुराण का पाठ और इसे सुनने से मानव को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य इस पुराण को लिखकर शीतकाल यानि सर्दी के दिनों में भक्तिपूर्वक ब्राह्मण को दान करता है, वह अपने पितरों को नरक से निकाल कर स्वर्ग में पहुंचा देता है और स्वयं भी अनेक प्रकार के भोगों का उपभोग करके देह-त्याग के पश्चात भगवान विष्णु के परम पद को प्राप्त कर लेता है।