शिर्डी

शनि शिंगणापुर मंदिर के बारे में जानकारी- shani shingnapur temple shirdi in Hindi

अहमदनगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) मंदिर, 9 ग्रहों में से एक और भगवान सूर्य के पुत्र, शनि देव को समर्पित है। यह मंदिर भारत में शनि देव का देश का सबसे बड़ा मंदिर है। एक छोटा-सा गाँव लेकिन ख्याति पूरे देश में, ये महिमा है शनि देव की, जिन्हें शनैश्वर के नाम से भी पूजा जाता है।

हालाँकि, शनि देव को ज्योतिषशास्त्र में अनिष्टकारी माना जाता है लेकिन पुराणों के अनुसार शनि देव मनुष्य को उसके अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि देव को न्यायप्रिय की उपाधि भी दी जाती है जिसका प्रमाण इस गाँव में देखा जा सकता है जहाँ किसी भी घर, तिजोरी, दुकान यहाँ तक कि बैंक में भी ताला नहीं लगाया जाता क्योंकि लोगों का मानना है कि यदि यहाँ कोई अपराध या चोरी करता है तो शनि देव स्वयं उसे सजा देते हैं।

मंदिर में भगवान शनि देव की प्रतिमा स्वयं उत्पन्न मानी जाती है जिसके ऊपर कोई छत या छत्र नहीं है। चारों ओर से खुले स्थान में एक चबूतरे पर स्थापित शनि देव की काले रंग की यह प्रतिमा साढ़े पांच फीट लम्बी और डेढ़ फीट चौड़ी है। मूर्ति के पास ही  भगवान शिव, हनुमान जी की मूर्ति और त्रिशूल है, साथ ही नंदी भी विराजमान हैं। भगवान की मूर्ति के आसपास रेलिंग लगी है। मंदिर परिसर में संत उदासी बाबा और भगवान दत्तात्रेय का भी मंदिर है।

इस मंदिर की एक ख़ास बात यह है कि अन्य धार्मिक स्थानों के विपरीत श्रद्धालु यहाँ खुद भगवान शनि को चढ़ावा जैसे तेल, तिल, काली उड़द दाल आदि अर्पण कर सकते हैं। मंदिर में चढ़ावे के लिए ऐसी सुविधा की गई है कि शनि देव के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को देर तक प्रतीक्षा करने की जरूरत नहीं होती, प्रतिमा के चबूतरे के पास कुछ बड़े पात्र हैं जिनसे जुड़े पाइप शनि देव की प्रतिमा के ऊपर लगे कलश तक जाते हैं, दर्शनार्थी तेल या तिल उस पात्र में डाल सकते हैं जो सीधा शनि देव को अर्पण हो जाते हैं।

शनि शिंगणापुर मंदिर का इतिहास - History of Shani Shingnapur Temple in Hindi

वैसे तो मंदिर के इतिहास से संबंधित कोई तथ्य नहीं है लेकिन माना जाता है कि कलयुग की शुरुआत से यह मंदिर यहाँ मौजूद है। मंदिर से जुड़ी एक कथा के अनुसार करीब 150 वर्ष पूर्व एक ऐसा चमत्कार हुआ था जिसके बाद से यह स्थान देशभर में प्रसिद्ध और एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन गया।  उस समय भारी वर्षा और बाढ़ की अवस्था में एक काला पत्थर तैरता हुआ यहाँ आया, पानी सूख जाने पर एक चरवाहे का ध्यान इस पर गया। गाँव के कुछ लोगों और चरवाहे ने इस विशाल पत्थर को एक छड़ी से छुआ तो इससे खून बहने लगा। इस घटना से वहाँ उपस्थित सभी लोग डर गये।

उसी रात स्वयं शनि देव गाँव वालों के सपने में आये और गाँव में हमेशा के लिए उसी रूप में बसने की इच्छा जाहिर की जिसमें वे उन्हें मिले थे अर्थात काले पत्थर के रूप में, वो भी बिना किसी छत्र या छत के। बदले में भगवान शनैश्वर ने भी उन्हें ये आश्वासन दिया कि उनके होते हुए किसी को भी डर या भय का सामना नहीं करना पड़ेगा।

शनि शिंगणापुर मे क्या देखे -

इस मंदिर में महिलाओं द्वारा शनि देव की पूजा न करने की करीब 150 वर्ष पुरानी मान्यता, बरसों से चली आ रही है लेकिन वर्ष 2015 में एक महिला द्वारा प्रतिमा को तेल चढ़ाने से विवाद खड़ा हो गया था, इस घटना के बाद मंदिर को कुछ दिनों के लिए बंद किया गया और शुद्धिकरण के बाद दोबारा खोला गया। हालाँकि, इस घटना पर अलग-अलग धर्मगुरुओं की राय भिन्न है जहाँ कुछ ने इसके पक्ष में कहा तो कुछ की प्रतिक्रिया विपरीत रही।

शनि शिंगणापुर सलाह -

  • जूते-चप्पल उतार कर मंदिर में प्रवेश करें

  • शनि देव की प्रतिमा की तस्वीर लेना मना है

  • शनि देव की महाआरती सुबह 4:30 बजे और शाम को 6:30 बजे होती है

  • मंदिर में एक कुआँ है जिसका पानी शनि देव के अभिषेक व धार्मिक कार्यों के लिए इस्तेमाल होता है, महिलाओं का उस कुएँ के पास जाना मना है

  • शनि देव का अभिषेक गीले कपड़ों और बिना सिर को ढके किया जाता है, श्रद्धालुओं के लिए नहाने की सुविधा मंदिर परिसर में ही है

  • महिलाएं भगवान शनैश्वर का अभिषेक नहीं कर सकती

  • गीले कपड़ों में अभिषेक करने वालों के लिए मंदिर में अलग लाइन की सुविधा है

  • विशेष पूजा-अर्चना करने के लिए, पंडित शनिवार व सोमवार को मंदिर में उपस्थित रहते हैं