मथुरा

मथुरा द्वारकाधीश मंदिर के बारे में जानकारी - Mathura Dwarkadhish Temple in Hindi

यमुना नदी के पूर्वी तट पर स्थित, द्वारिकाधीश अर्थात "द्वारका के राजा श्री कृष्ण" का मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है। मंदिर में नक्काशियों और शिल्पकला के माध्यम से भगवान कृष्ण के बाल्यकाल से जुड़ी लीलाओं का वर्णन किया गया है। दो मंजिला इस मंदिर की दीवारों और खम्भों पर शीशे का कार्य आश्चर्यचकित करता है।

इस मंदिर के अर्द्ध गुंबदाकार गर्भग्रह में राधा-कृष्ण की मूर्तियाँ स्थापित हैं। इसके अलावा मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। होली, दिवाली और जन्माष्टमी जैसे त्यौहार यहाँ पूर्ण हर्षौल्लास से मनाये जाते हैं। द्वारिकाधीश मंदिर का संचालन वल्लभाचार्य संप्रदाय द्वारा किया जा रहा है।

द्वारिकाधीश मंदिर का इतिहास - History of Dwarikadhish Temple in Hindi

द्वारिकाधीश मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के एक परमभक्त सेठ गोकुल दास पारिख ने सन् 1814 में करवाया था जोकि ग्वालियर की शाही अदालत में एक अधिकारी थे।

द्वारिकाधीश मंदिर मे क्या देखे -

अगस्त के महीने में हर साल यहां झूलन यात्रा उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव पर सोने के पानी से रंगे झूलों को आभूषणों, चमेली के फूलों, रंगीन मालाओं से सजाया जाता है। इस दिन भगवान द्वारिकाधीश और राधा जी की प्रतिमाओं को भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए मंदिर से बाहर लाया जाता है।

द्वारिकाधीश मंदिर सलाह -

  • मंदिर तक जाने का मार्ग काफी संकीर्ण है, कार की जगह साइकिल रिक्शे से जाएँ।

  • मंदिर में प्रवेश करने का समय सुबह 7 बजे से रात 8:30 बजे तक है।

  • इस मंदिर में मोबाईल, कैमरा व अन्य इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स ले जाना मना है।

  • दान करने की इच्छा हो तो केवल दानपेटी में ही दान दें, लोकल गाइड्स के बहकावे में ना आएं।

  • यह मंदिर भक्तों के लिए पूरा साल खुला रहता है।