प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिरों जैसे चौंसठ योगिनी मंदिर, जावेरी मंदिर, देवी जगदम्बा मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, कंदरिया महादेव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, कामदेव मंदिर, आदिनाथ मंदिर जैसे बहुत से मंदिर होने के कारण, इन मंदिरों को खजुराहो स्मारक समूह (Khajuraho Group of Monuments) नाम से युनेस्को विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) की सूची में शामिल किया गया है।
खजुराहो के मंदिरों के स्थान पर कभी खजूर के जंगल हुआ करते थे, जिसकी वजह से इसका नाम खजुराहो पड़। लेकिन खजुराहो को आज खजूर के जंगलों के लिए नहीं बल्कि यहाँ मंदिरों की दीवारों पर उकेरी गयी अद्भुत कलाकृतियों के लिए जाना जाता है।
खजुराहो के इन विश्वप्रसिद्ध मंदिरों को तीन समूहों पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी में विभाजित किया गया है जो हिंदु व जैन धर्म को समर्पित हैं-
लक्ष्मण मंदिर (Lakshaman Mandir):- लक्ष्मण मंदिर, खजुराहो का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर है, जिसका निर्माण 930 से 950 ई॰ के बीच चंदेल शासक यशोवर्मन ने करवाया था। यह मंदिर भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण के नाम पर है, इसमें विष्णु की मूर्ति स्थापित है। बलुआ पत्थर से बना यह मंदिर, स्थापत्य व वास्तु कला का अद्भुत नमूना है। मंदिर में मंडप, अर्ध-मंडप, महामंडप, अंतराल, गर्भगृह तथा मंदिर की बाहरी दीवारों पर लगभग 600 देवी- देवताओं की प्रतिमाएं देखी जा सकती हैं।
विश्वनाथ मंदिर - Vishvanath Mandir
भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर की स्थापना चंदेल शासक धंगदेव वर्मन ने की थी। इसमें संगमरमर से निर्मित शिवलिंग की, भगवान शिव के रुप में पूजा जाती है। विश्वनाथ मंदिर, पंचायतन आकार है, जिसके चारों छोर पर चार अन्य मंदिर तथा बीच में मुख्य मंदिर स्थित हैं। भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव की तथा 6 फीट ऊंची नंदी बैल की प्रभावशाली मूर्तियां विश्वनाथ मंदिर का मुख्य आकर्षण हैं।
कंदारिया महादेव मंदिर - Kandariya Mahadev Mandir
कंदारिया महादेव मंदिर, खजुराहो के पश्चिमी समूह के मंदिरों में सबसे बड़ा है, जिसका निर्माण चंदेल शासकों ने लगभग 1025-1050 के बीच पांच वास्तुकला शैलियों में करवाया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिसके मुख्य गर्भगृह में शिवलिंग स्थित है। शिवलिंग के अलावा यहां सैकड़ों छोटी बड़ी प्रतिमाएं स्थापित हैं।
इनके अलावा कई अन्य मंदिर भी पश्चिमी समूह के अंतर्गत आते हैं।
वामन मंदिर (Vaman Mandir):- भगवान विष्णु के पांचवें अवतार, भगवान वामन को समर्पित इस मंदिर की स्थापना 1050-1075 ई॰ के बीच हुई थी। मंदिर में भगवान विष्णु की चतुर्भुज प्रतिमा स्थापित है, जिनके दो हाथों में सुदर्शन चक्र और शंख हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर गंगा और यमुना की मूर्तियां है। इसके अलावा यहां वराह, नृसिंह तथा वामन की प्रतिमाएं भी विराजमान हैं।
पार्श्वनाथ मंदिर - Parshvanath Mandir
पार्श्वनाथ मंदिर, खजुराहो में स्थित सभी जैन मंदिरों में सबसे सुंदर और बड़ा है। लगभग 950 ई. से 970 ई के बीच निर्मित यह मंदिर मूल रूप से जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर, भगवान आदिनाथ को समर्पित है। इस मंदिर में कई अन्य प्रतिमाएं और शिलालेख भी स्थित हैं।
आदिनाथ मंदिर - Aadinath Mandir
भगवान आदिनाथ को समर्पित यह मंदिर पार्श्वनाथ मंदिर के उत्तरी भाग में स्थित है, जिसका निर्माण चंदेल वंश के शासकों ने 11 शताब्दी के दौरान निरंधार शैली में करवाया था। मंदिर का अधिकतर भाग नष्ट हो चुका है, जैसे मंडप, अर्धमंडप आदि। वर्तमान समय में यहां गर्भगृह तथा अंतराल हैं।
चतुर्भुज मंदिर - Chaturbhuj Mandir
लगभग 1100 ई॰ में बना, चतुर्भुज मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव के चित्रों की नक्काशी देखने को मिलती है। यहां का मुख्य आकर्षण भगवान विष्णु की 9 फीट ऊंची प्रतिमा है, जिसकी चार भुजाएं हैं। इसके अलावा नृसिंह, भगवान शिव का अर्धनारीश्वर अवतार व अन्य देवी- देवताओं की मूर्तियां हैं।
दुलादेव मंदिर - Duladeo Mandir
दुलादेव मंदिर, खजुराहो के दक्षिणी समूह का प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे 1130 ई॰ में चंदेल शासक मदनवर्मन ने बनवाया गया था। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में पांच कमरे तथा एक बंद हॉल है। मंदिर में भगवान शिव और देवी पार्वती की कई प्रतिमाएं स्थापित हैं। इसके अलावा यहां एक शिवलिंग भी है। मंदिर के छत और अंदर के हिस्सों में बारीक नक्काशी की गई है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
खजुराहो मंदिर का इतिहास - History of Khajuraho Temple
खजुराहो के मंदिरों के निर्माण कार्य की शुरुआत, चंदेल वंश के प्रथम शासक राजा चन्द्रवर्मन ने की थी। जिसे समय- समय पर चन्द्रवर्मन के वंशजों यानि चंदेल शासकों ने पूरा करवाया था। प्राचीनकाल में इन सभी मंदिरों की संख्या 85 थी, लेकिन आज सिर्फ 22 ही रह गई है।
विश्वविख्यात खजुराहो मंदिरों में घूमने के बाद, अक्सर पर्यटकों के मन में मंदिरों के इतिहास से संबंधित कई सवाल रह जाते हैं। इसलिए पर्यटकों की सभी शंकाओं को दूर करने के लिए खजुराहो के पश्चिमी समूह में रोजाना 'लाइट एंड साउंड शो (Light & Sound Show)' का आयोजन किया जाता है, जिसमें चंदेल शासकों के गौरवशाली इतिहास से लेकर यहां स्थित मंदिरों के निर्माण के बारे में बताया जाता है। यह कार्यक्रम 50 मिनट तक चलता है। यह अंग्रेजी और हिन्दी दोनों ही भाषा में होता है।