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भारत के वो 5 रहस्यमयी मंदिर, जिनका राज  वैज्ञानिक भी नहीं खोल पाए, जानिए कहां हैं ये मंदिर

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क: भारत विविधिताओं का देश है। भारत को अध्यात्म और साधना का केंद्र माना गया है। यहां पर कई ऐसे अद्भुत प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें विशेष महत्व प्राप्त है। इसमें से कई मंदिर चमत्कारिक और रहस्यमयी हैं, जिनके रहस्य को वैज्ञानिक भी सुलझा नहीं पाए हैं।इन मंदिरों में लोगों की आस्था के साथ अनूठी कारीगरी और कहानियां भी देखने और सुनने को मिलती है। चलिए जानते हैं उन मंदिरों के बारे में।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर

हनुमान जी का यह बालाजी का मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। यह  मंदिर भूत प्रेत के साए से मुक्ति दिलाने के लिए बहुत मशहूर है।  कहते हैं कि इस मंदिर के प्रसाद को ना ही भक्त खा सकते हैं और ना ही घर ले जा सकते हैं। बालाजी की मूर्ति में छाती के बाएं तरफ एक छोटा सा छेद है जिसमें से हमेशा पानी की धारा बहती रहती है। इसे बालाजी का पसीना कहा जाता है।

काल भैरव मंदिर

मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान काल भैरव का प्राचीन मंदिर स्थित है।  यह मंदिर उज्जैन शहर से 8 किलोमीटर दूरी पर है।  परंपराओं के मुताबिक भगवान ने काल भैरव को भक्त सिर्फ शराब चढ़ाते हैं। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात है कि शराब के प्याले को काल भैरव की प्रतिमा के मुख से जैसे ही लगते हैं तो वह एक पल गायब हो जाता है। ऐसा क्यों होता है इस बात को भी जानकारी आज नहीं मिल पाई है।

वीरभद्र मंदिर

वीरभद्र मंदिर भारत के सबसे रहस्यमयी ममंदिरों में से शामिल है।  वीरभद्र मंदिर की एक रहस्यमई बात यह है कि यहां 70 बड़े स्तंभों में एक स्तंभ मंदिर की छत को छूता है लेकिन वह जमीन से उठा रहता है l। इस पिलर को हैंगिंग पिलर भी कहते हैं।  यहां अक्सर पर्यटक पिलर के नीचे से कपड़ा निकालते हुए इस पिलर को टेस्ट करते देखे हैं। यह अपने आप में काफी चमत्कारिक मंदिर है।

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर

गुजरात में मौजूद स्तंभेश्वर महादेव मंदिर भारत के अविश्वसनीय और रहस्यमई मंदिरों में आता है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर दिन में कुछ समय के लिए पूरी तरह से गायब हो जाता है। गायब होने के बाद इस मंदिर का एक भी हिस्सा दिखाई नहीं देता।  यह मंदिर गुजरात में है।  अरब सागर  की खाड़ी के तट पर मौजूद यह मंदिर काफी अद्भुत है।

कन्याकुमारी

समुद्र तट पर बसा कन्याकुमारी देवी का मंदिर है। जहां देवी पार्वती को कन्या रूप में पूजा जाता है। मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को कमर से नीचे के वस्त्र उतारने पड़ते हैं। प्रचलित कथा के अनुसार देवी का विवाह संपन्न ना हो पाने के कारण बच गए दाल चावल बाद में कंकर बन गए थे। आश्चर्य रूप से कन्याकुमारी के समुद्र तट की रेत में दाल और चावल के आकार के रंग बिरंगे कंकर बड़ी मात्रा में देखे जा सकते हैं।  जो अपने आपमें एक रहस्य है।