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रुद्राक्ष धारण करने के मंत्र - Rudraksh dharan karne ke mantra

सामान्यतः रुद्राक्ष का दाना या माला धारण करने और उसका नियमित स्तवन करने के लिए साधक जन "ॐ नमः शिवाय " मंत्र का जप करते है। किन्तु मंत्राचार्यो एवं तंत्र - शास्त्रियों ने रुद्राक्ष के दाने के मुख्य को आधार बनाकर प्रयोग और परिक्षीण द्वारा विभिन्न मंत्रो का प्रभाव अलग - अलग घोषित किया है। उनके मतानुसार यदि रुद्राक्ष के मुखो को वरीयता देकर तत्त्व सम्बन्धी मंत्र का जाप किया किया जाए तो विशेष लाभ होता है।

वैसे "ॐ नमः शिवाय " एक ऐसा मंत्र है जिसका प्रयोग समस्त नियमो - प्रतिबंधों से परे कोई भी , कभी भी कहीं भी कर सकता है तथा प्रत्येक वर्ग के रुद्राक्ष के लिए यह अनुकूल प्रभाव कि सृष्टि करता है। तथापि प्रत्येक रुद्राक्ष का एक पृथक देवता और उसका मंत्र होता है। यदि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए रुद्राक्ष धारण और मंत्र - जप किया जाए तो विशेष लाभ होता है।

रुद्राक्ष कि श्रेणी सम्बन्धित देवता जप का मंत्र

एकमुखी रुद्राक्ष शिव ॐ ह्रीं नमः

दोमुखी रुद्राक्ष अर्ध नारीश्वर ॐ नमः

तीनमुखी रुद्राक्ष अग्नि देवता ॐ क्लीं नमः

चारमुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा ॐ ह्रीं नमः

पांचमुखी रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्रः ॐ ह्रीं नमः

छहमुखी रुद्राक्ष कार्तिकेय ॐ ह्रीं हुं नमः

सातमुखी रुद्राक्ष सप्तऋषि ॐ हुं नमः

आठमुखी रुद्राक्ष बटुक भैरव ॐ हुं नमः

नौमुखी रुद्राक्ष नव दुर्गा ॐ ह्रीं हुं नमः

दसमुखी रुद्राक्ष विष्णु दशावतार ॐ ह्रीं नमः

ग्यारहमुखी रुद्राक्ष रुद्रः (ग्यारह) इंद्र ॐ ह्रीं हुं नमः

बारहमुखी रुद्राक्ष बारह आदित्य ॐ क्रौं क्षौं रौं नमः

तेरहमुखी रुद्राक्ष कार्तिकेय ॐ ह्रीं नमः

चौदहमुखी रुद्राक्ष शिव / हनुमान ॐ नमः

उपयुक्त मंत्रो से रुद्राक्ष धारण करने पर भूत - प्रेम , पिशाच , डाकिनी - शाकिनी और राक्षस आदि दूर भाग जाते हैं तथा शिव , विष्णु , देवी दुर्गा , गणेश , सूर्य आदि देवता प्रसन्न हो जाते हैं। धर्मवृद्धि के लिए भक्तिपूर्वक पूर्वोतक मंत्रो सहित विधिवत एवं पवित्र होकर इसे धारण करना चाहिए।