रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर जैव कीटनाशकों का इस्तेमाल हो: उद्यान मन्त्री
रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर जैव कीटनाशकों का इस्तेमाल हो: उद्यान मन्त्री  
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रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर जैव कीटनाशकों का इस्तेमाल हो: उद्यान मन्त्री

Raftaar Desk - P2

बीयू में सब्जी रोग प्रबंधन विषयक हुआ दो दिवसीय अन्तराष्ट्रीय वेबिनार का उद्घाटन झांसी, 26 जून (हि.स.)। देश के विभिन्न कृषि अनुसंधान संस्थानों की प्रयोगशालाओं में तैयार बायो पेस्टिसाइड्स के प्रयोग से सब्जियों तथा फसलो को विशैले रसायनों के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। वर्तमान में रासायनिक कीटनाशकों की जगह जैव कीटनाशकों का इस्तेमाल करें। उक्त विचार शुक्रवार को राज्य के उद्यान मंत्री राम चौहान ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सब्जी रोग प्रबंधन की नई दिशाएं विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि कि सब्जियों के उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है परंतु हमारी उत्पादकता एवं गुणवत्ता में काफी अन्तर है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश एक प्रमुख सब्जी उत्पादक राज्य है जहां लगभग 1.26 मिलियन हेक्टेयर में सब्जियों की खेती की जाती है। लेकिन अन्य देशों की अपेक्षा हमारे देश में प्रति हेक्टेयर भूमि में सब्जियों का उत्पादन काफी कम होता है। इसका कारण उच्च उत्पादकता वाले प्रजातियों का अभाव, रोग प्रतिरोधी प्रजातियों की विविधता में कमी, उचित रोग नाशक एवं रोगाणु नाशक यंत्रों तथा रसायनो की कमी, रोग कारकों को मारने वाले सूक्ष्म जैविकीय कारकों की कमी और किसानो के द्वारा मौसम के अनुरूप रोग कारकों के समुचित उपयोग न कर पाने के कारण होने वाले संक्रमण से सब्जियों के उत्पादन में किसानो को नुकसान उठाना पड़ता है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के पूर्व कुलपति प्रो. कल्लू गौतम ने बताया कि सब्जियों में रोगों से बचाव के लिए विभिन्न प्रयोग किए जाने की आवश्यकता है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.जेवी वैशंपायन ने कहा कि वर्तमान कोरोना काल के परिदृश्य में सब्जियों का अधिकतम प्रयोग किया जा रहा है, अब यह वनस्पति शास्त्रियों तथा कृषि वैज्ञानिकों का दायित्व है कि वे ऐसी सब्जियों के उत्पादन एवं प्रयोग को बढ़ावा दें, जो मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सके। तकनीकी सत्रों में शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर कृषि एग्रीकल्चर के निदेशक प्रो.हरीएस गौड़, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के पूर्व कुलपति डॉ एसएम पॉल खुराना, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री के संकायाध्यक्ष डॉ एके पाण्डेय, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च बैंगलोर के डिवीजन आफ क्राॅप प्रोटेक्शन के मुख्य वैज्ञानिक डॉ.एमएस राव, इंस्टीट्यूट ऑफ पेस्टिसाइड्स फॉर्मूलेशन टेक्नोलॉजी गुरुग्राम के निदेशक डॉ जितेन्द्र कुमार ने अपने अपने वक्तव्य दिये। हिन्दुस्थान समाचार/महेश/दीपक-hindusthansamachar.in