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बिहार : गैंगरेप में पूर्व विधायक योगेन्द्र सरदार समेत चार को उम्रकैद

Raftaar Desk - P2

- अलग-अलग धाराओं में सवा तीन लाख का जुर्माना भी - एडीजे तृतीय रविरंजन मिश्र की अदालत ने सुनाई सजा राजीव सुपौल, 31 जनवरी (हि. स.)। त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र में 25 साल पहले हुए बहुचर्चित गैंगरेप के एक मामले में कोर्ट ने पूर्व विधायक योगेन्द्र नारायण सरदार समेत चार अन्य अपराधियों को आजीवन करावास की सजा सुनाई है। एडीजे तृतीय रविरंजन मिश्र की अदालत ने शुक्रवार को सत्रवाद संख्या 36/95 की सुनवाई करते हुए सामूहिक दुष्कर्म के अपराधी पूर्व विधायक योगेंद्र सरदार, शंभू सिंह, भूपेन्द्र यादव एवं उमा सरदार को दोषी करार देते हुए आजीवन करावास की सजा सुनाई। त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र की पीड़ित ने त्रिवेणीगंज थाना में 19 नवंबर 1994 को एक आवेदन देकर शंभू सिंह, भूपेन्द्र सरदार, योगेन्द्र नारायण सरदार, उमा सरदार, रामफल यादव और हरिलाल शर्मा उर्फ हरिनारायण शर्मा को नामजद आरोपी बनाया था। इसमें से एक आरोपी रामफल यादव की मौत हो चुकी है जबकि एक आरोपी हरिलाल शर्मा उर्फ हरिनारायण शर्मा आज भी फरार चल रहा है। मामले में अभियोजन पक्ष से 11 और बचाव पक्ष से 7 लोगों की गवाही हुई थी। योगेन्द्र नारायण सरदार जनता दल से त्रिवेणीगंज के विधायक थे। जानकारी के अनुसार 16 नवंबर 1994 की रात पीड़िता अपनी मां के साथ सोई हुई थी। इसी बीच पूर्व विधायक योगेन्द्र नारायण सरदार, शंभू सिंह, उमा सरदार और भूपेन्द्र यादव सहित दो-तीन अज्ञात लोग मिलकर रात करीब 12 बजे लड़की के हाथ-मुंह बांधकर जीप से लेकर चले गए। आरोपियों ने एक कमरे में ले जाकर उसके साथ बारी-बारी से मुंह काला किया। दुष्कर्म के दौरान लड़की ने पूर्व विधायक के नाजुक अंग को काट लिया था। इसके बाद दुष्किर्मियों के चंगुल से भागकर वह किसी तरह अपने घर आई और परिजनों को आपबीती सुनाई। जख्मी हालत में लड़की की मेडिकल जांच कराई गई। 19 नवंबर 1994 को पीड़िता के बयान पर त्रिवेणीगंज थाना में मामला दर्ज कराया था। उस समय हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण मेडिकल बोर्ड ने इसकी जांच की थी। इसमें डॉक्टरों ने रिपोर्ट में धारदार हथियार से नाजुक अंग को जख्मी करने की बात कही थी। शुक्रवार को कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में लोगों की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गये थे। जानकारी के अनुसार चारों जुर्मियों को धारा 376 के तहत आजीवन कारावास व एक लाख रुपया अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड की राशि नहीं देने पर 2 साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वहीं धारा 366 के तहत 10-10 साल व एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड की राशि नहीं देने पर दो साल का अतिरिक्त करावास भुगतना होगा जबकि धारा 324 के तहत 3-3 साल की सजा व 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड की राशि नहीं देने पर छह महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। धारा 458 के तहत 10-10 साल की सजा व एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड की राशि नहीं देने पर 2 साल का अतिरिक्त करावास भुगतना होगा। सभी सजाएँ साथ-साथ चलेंगी। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक अबु जफर एवं बचाव पक्ष की ओर से सुधीर कुमार झा व नागेन्द्र नारायण ठाकुर ने बहस में भाग लिया। अलग-अलग धाराओं में कुल सवा तीन लाख रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड की राशि नहीं देने पर अलग-अलग धाराओंं में साढ़े छह साल अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.inNewsDetail?q=2617968895ff02d9ff48f05bdea763ae